बुधवार को सांसद शरद त्रिपाठी और विधायक राकेश सिंह बघेल के बीच आम चुनाव से ठीक पहले ऑन कैमरा हुई मारपीट से भाजपा नेतृत्व सकते में है। नेतृत्व को डर है कि हालात नहीं संभालने की स्थिति में यह मामला पूर्वी उत्तर प्रदेश में ठाकुर बनाम ब्राह्मण का रूप न ले ले। यही कारण है कि केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य सरकार के साथ-साथ राज्य संगठन को हर हाल में विवाद के निपटारे का निर्देश दिया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक सांसद-विधायक मारपीट मामले में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य पार्टी के अध्यक्ष, संगठन मंत्री, मुख्यमंत्री और वरिष्ठ मंत्रियों के साथ फोन पर अलग-अलग बात की है। 
किसी एक पर नहीं होगी कार्रवाई
दो बिरादरी के बीच जंग की धारणा न बने, इसलिए इस मामले में शामिल दोनों नेताओं में से किसी एक के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी। पार्टी की पहली कोशिश दोनों के बीच समझौता करा कर विवाद को टालने की होगी। इसमें असफल रहने के बाद दोनों पक्षों पर समान कार्रवाई का रास्ता चुना जा सकता है।
टिकट की लड़ाई भी है जड़
दरअसल इस जंग के पीछे लोकसभा चुनाव का टिकट भी है। सांसद त्रिपाठी के समर्थकों का कहना है कि राज्य भाजपा और सरकार का एक धड़ा बीते करीब डेढ़ साल से सांसद को अलग-थलग करने की कोशिश में था। इसी कोशिश के तहत उद़घाटनों और शिलान्य पट्टिका में सांसद का नाम नहीं डाला जा रहा था। विधायक बघेल सांसद त्रिपाठी के विरोधी खेमे के माने जाते हैं।
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