न महात्मा गांधी महापुरुष थे, न नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री

सामान्य ज्ञान की किताबें हों या हमारी देश के बारे में बहुत प्रारंभिक और शुरुआती जानकारी, यह एक सत्य है कि आज़ाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे. इसे पसंद और नापसंद के आधार पर झुठलाया नहीं जा सकता है. बातचीत या भाषणों में भले ही नेहरू के प्रति अपने नज़रिए के आधार पर ज़िक्र करने या न करने की आज़ादी ली जा सकती है. लेकिन जब बात सामान्य ज्ञान की हो, पुस्तक लेखन की हो तो ऐसा कतई नहीं किया जा सकता है.

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लेकिन भारतीय जनता पार्टी ऐसा करती दिखाई दे रही है. भाजपा इन दिनों पूरे जोश-खरोश के साथ अपने युगपुरुष दीनदयाल उपाध्याय का जन्म शताब्दी वर्ष मना रही है. इस अवसर पर कई योजनाएं और कार्यक्रम दीनदयाल उपाध्याय को समर्पित करते हुए चलाए जा रहे हैं. एकात्म मानववाद का नारा और अंत्योदय को उनसे जोड़कर प्रस्तुत किया जा रहा है. उनके नाम पर स्मारकों और संस्थानों के नामकरण की भी होड़ है.

इसी दिशा में पिछले महीनों भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी समारोह समिति का गठन भी किया था जो समाज के अलग-अलग वर्गों के बीच दीनदयाल उपाध्याय से संबंधित तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है. खुद तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य इस समिति का जिम्मा संभाले हुए थे. भाजपा के कई और कद्दावर नेता इसमें शामिल हैं.

इसी समिति की ओर से सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया है. इसके लिए सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता 2017 नाम से एक पुस्तिका भी प्रकाशित की गई है. लाखों की संख्या में यह पुस्तिका बच्चों को सरकारी और ग़ैर-सरकारी स्कूलों में बांटी गई है. सामान्य ज्ञान की इस पुस्तिका में भारत के इतिहास से जुड़ी कई बातों का उल्लेख है. इस पुस्तिका के आधार पर प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है.

गायब है महात्मा गांधी, नेहरू

70 पेज की इस पुस्तिका में पेज नंबर 34 पर सामान्य ज्ञान का एक चैप्टर है. शीर्षक है- भारत में प्रथम. और इसके अंतर्गत भारत के प्रथम राष्ट्रपति, गवर्नर जनरल, उप राष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष, उप प्रधानमंत्री आदि के नामों का उल्लेख है. हां, न तो इस सूची में नेहरू का नाम शामिल है और न ही यह ज़रूरी समझा गया है कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री का जिक्र इस पुस्तक किया जाए.

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और तो और, भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री का ज़िक्र भी इस चैप्टर में नहीं है. हालांकि भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में सुचेता कृपलानी को तो जगह मिली है. लेकिन नेहरू और इंदिरा की पहली पहचान ही इस पुस्तिका से गायब है.

हां, भारत रत्न से सम्मानित प्रथम महिला के रूप में इंदिरा गांधी को इस सूची में शामिल किया गया है. और यह भी बताया गया है कि प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र देने वाले पहले प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई थे.

पेज नंबर 7 पर हमारे महापुरुष शीर्षक से एक चैप्टर है. इसमें महापुरुषों की सूची में स्वामी विवेकानंद,भीमराव अंबेडकर, गुरु गोविंद सिंह, बिरसा मुंडा, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, नानाजी देशमुख, मदनमोहन मालवीय, डॉ हेडगेवार, वीर सावरकर, कबीर दास, पटेल और लक्ष्मीबाई के नाम हैं. महात्मा गांधी का ज़िक्र तक इस सूची में नहीं आता. न ही पूरी पुस्तिका में कहीं भी महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में बताया जाता है.

पेज नंबर 39 पर एक कॉलम है- किसने क्या कहा. और यहां से भी नेहरू का नाम गायब है. इतिहास पुरुष के तौर पर इसमें महात्मा गांधी, तिलक, शास्त्री के अलावा श्याम लाल गुप्ता, बोस और दयानंद के नाम हैं. यह सूची आगे बढ़ती है जहां युधिष्ठिर और दुर्योधन को भी महापुरुषों में शामिल किया गया है. साथ ही वेद व्यास, चाणक्य नीति, पंचतंत्र और जातक कथा के भी कथन शामिल हैं.

सुविधा का इतिहास

पेज नंबर 41 पर आर्थिक परिदृश्य शीर्षक से जो बातें बताई गई हैं, उसमें सबसे पहला बिंदु है- भारत सरकार द्वारा किस वर्ष में योजना आयोग को समाप्त किया गया है. दूसरा और तीसरा बिंदु नीति आयोग पर है. आगे के बिंदुओं में आरएसएस के अनुशांगिक संगठन भारतीय मजदूर संघ को भारत का सबसे बड़ा मजदूर संगठन बताते हुए शामिल किया गया है.

आगे का सामान्य ज्ञान पूरी तरह से मोदीमय है. सम-सामयिकी शीर्षक के तहत पहला ही बिंदु कहता है- मेक इन इंडिया का नारा किसने दिया? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. और फिर आगे का सामान्य ज्ञान मोदी सरकार की योजनाओं के नामों पर केंद्रित है.

पुस्तिका संविधान के बारे में सामान्य ज्ञान देते हुए बताती है कि किन-किन देशों के क्या क्या इस संविधान में शामिल किया गया है. यह भी कि भारत का संविधान में विधि निर्माण की प्रक्रिया को ब्रिटेन के संविधान के समान रखा गया है. इससे आभास होता है कि भारतीय संविधान हमारा कम और विदेशी प्रभाव वाला ज़्यादा है.

उत्तर प्रदेश के इतिहास की चर्चा करते हुए पुस्तिका बताती है कि वाराणसी शहर भगवान शिव के त्रिशूल पर स्थित है. यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि भारत के इतिहास की बात करते हुए आज़ाद भारत के अबतक के प्रधानमंत्रियों की सूची इस पुस्तिका में शामिल नहीं है. न ही उत्तर प्रदेश के अबतक के मुख्यमंत्रियों की सूची को ही इस पुस्तिका में शामिल किया गया है.

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