भाई-बहन के बीच प्रेम का ऐसा झरना बहता है, जो आपकी जिंदगी को खुशियों से भर देता है। इस रिश्ते का डीएनए ही कुछ ऐसा है कि मुसीबत के वक्त जब कहीं से मदद की उम्मीद नहीं होती है, तब भी कलाई पर बंधा स्नेह जिंदगी की डोर थामने के लिए खड़ा हो जाता है।
भाई-बहन को लेकर कूद गया मौत की गाड़ी से
भोजपुर के कुछ परिवार सोमवारी के मेले में गए थे। सात बच्चों को गाड़ी में छोड़कर सभी बड़े मंदिर चले गए। इस बीच किसी बच्चे ने खेल-खेल में गाड़ी स्टार्ट कर दी। गाड़ी तालाब की ओर बढऩे लगी। तभी 10 वर्ष का बिहारी, छोटी बहन ग्रेसी को लेकर गाड़ी से कूद गया। पांच अन्य बच्चों को बचाया नहीं जा सका, लेकिन भाई का साथ ग्रेसी के लिए जिंदगी का उपहार बन गया।
खड़ा हो गया बहन की मौत के सामने
म्युनिख के ओलम्पिया सेंटर मॉल में एक वर्ष पहले अवसाद का शिकार डेविड अली सनबोली मौत बनकर खड़ा हो गया। ह्युसेयिन डेयिक मॉल में ही परिवार के लिए तोहफे खरीद रहा था। अचानक गोलियों की आवाज सुनाई पड़ी। उसकी बहन हत्यारे के निशाने पर थी। भाग जाने के बजाय डेयिक कूदकर जुड़वा बहन के सामने खड़ा हो गया। हत्यारे ने उसे दो गोलियां दागी। डेयिक जाते-जाते बहन को जिंदगी का तोहफा दे गया।
ईदी में बहन को दे दी किडनी
बागपत दोघट निवासी शकील दूध व्यवसायी हैं। उनकी पत्नी वकीला की किडनी खराब हो चुकी थी। दर्द से बेहाल रहती थीं। पानीपत निवासी सोहनवीर वकीला को छोटी बहन की तरह मानता था। हर वर्ष ईद पर उसे ईदी देता था। पिछली ईद पर जब वकीला ने उसे मुबारकबाद दी तो सोहनवीर ने कहा इस बार में ईदी में जो दूंगा वह लेना पड़ेगा। सोहन ने अपनी किडनी देने की पेशकश की, पहले तो वह नहीं मानी, लेकिन भाई की जिद के आगे झुकना पड़ा।
भाई है गोल्डन सिस्टर्स की प्रेरणा
रियो ओलम्पिक में 4 बाय 100 फ्री स्टाइल स्वीमिंग का सोना जीतने वाली क्रेट और ब्रोंटे कैम्पबेल बहनों के लिए उनका भाई हमीश ही सबसे बड़ी प्रेरणा है। हमीश को सेरेब्रल पाल्सी है। कैट और ब्रोंटे कहती हैं, जब भी हमें लगता है कि हमारा जीवन कठिन है, हम हमीश के बारे में सोचती हैं।
वह खुद खाना भी नहीं खा पाता, कपड़े नहीं पहन पाता। शौचालय तक नहीं जा पाता है। जब वह भूखा-प्यासा होता है तो कह भी नहीं सकता। देख भी नहीं पाता, उसके बारे में सोचते हैं, तब हमें लगता है हमारी जिंदगी बहुत अच्छी है।
सदियों से रक्षाबंधन पर बहन की रक्षा का वचन दोहराते आ रहे हैं, बावजूद महिलाओं पर अपराधों में कोई कमी नहीं आ रही है। यह हमारे समाज का दूसरा चेहरा है, जिसे बदलना बेहद जरूरी है।
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