भाई की किस कलाई पर बांधें राखी? ताकि मिल सकें शुभ परिणाम

हर साल सावन मास की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। इस दिन बहनों द्वारा उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ भाई की कलाई पर राखी या रक्षासूत्र बांधा जाता है। इस दौरान कई तरह के नियमों का ध्यान रखना चाहिए जिसका वर्णन शास्त्रों में भी मिलता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि भाई की किस कलाई में राखी बांधनी चाहिए।

रक्षाबंधन हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन को बहनों और भाइयों के प्रेम के रूप में देखा जाता है। इस विशेष दिन पर बहने स्नेहपूर्वक अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई उन्हें कुछ-न-कुछ उपहार देते हैं। ऐसे में भाई की कलाई पर राखी बांधते समय बहनों को कुछ खास नियमों का ध्यान जरूर रखना चाहिए, ताकि इसके अच्छे परिणाम ही आपको प्राप्त हो।

रक्षाबंधन का महत्व
सनातन धर्म की परंपरा के अनुसार, इस दिन देवी लक्ष्मी ने दैत्यराज बलि को राखी बांधी थी और उन्हें अपना भाई बनाया था। रक्षाबंधन पर बांधी जाने वाली राखी केवल एक साधारण डोर नहीं है, बल्कि यह पर्व भाई -बहन के रिश्तों की अटूट डोर का भी प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाई की आरती उतारकर, उन्हें तिलक लगाती हैं। इसके बाद प्रेम के प्रतीक स्वरूप राखी या रक्षा सूत्र भाई की कलाई में बाधंती हैं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं। साथ ही भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देते हैं।

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त (Raksha bandhan 2024 Shubh Muhurat)
सावन माह की पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 19 अगस्त 2024 को प्रातः 03 बजकर 04 मिनट पर हो रहा है। वहीं यह तिथि 19 अगस्त 2024 को ही रात्रि 11 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में रक्षाबंधन का पर्व सोमवार, 19 अगस्त को किया जाएगा।

किस हाथ में बांधनी चाहिए राखी
रक्षाबंधन के दिन भाई के दाहिने हाथ में राखी बांधना शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, दाहिने हाथ या सीधे हाथ को वर्तमान जीवन के कर्मों का हाथ माना जाता है। इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि दाहिने हाथ से किए गए दान और धार्मिक कार्यों को भगवान स्वीकार करते हैं। इसलिए धार्मिक कार्यों के बाद कलावा आदि भी इसी हाथ में बांधा जाता है।

मिलते हैं ये फायदे
दाहिने हाथ में राखी बांधना धार्मिक दृष्टि से तो शुभ माना ही गया है। साथ-ही-साथ इसके स्वास्थ्य की दृष्टि से भी काफी फायदे हैं। दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र बांधने से रोगों से भी दूरी बनी रहती है। आयुर्वेद की दृष्टि से देखा जाए तो शरीर के प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर ही गुजरती हैं। ऐसे में इस स्थान पर रक्षा सूत्र या राखी बांधने व्यक्ति का रक्तचाप सही बना रहता है और व्यक्ति का वात, पित्त, कफ संतुलित रहता है।

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