भगवान शिव का शुभ लाभ से क्या संबंध है, जानिए

हम द्वार के आसपास स्वस्तिक बनाकर शुभ और लाभ लिखते हैं। आखिर यह शुभ लाभ क्यों लिखते हैं और इनका भगवान शिव या शंकरजी से क्या संबंध है यह बहुत ही कम लोग जानते होंगे। आओ आज हम बताते हैं कि इसका रहस्य क्या है।

शिवपुत्र गणेशजी को देवगणों का अधिपति नियुक्त किया गया है। गणेशजी की बहन का नाम अशोक सुंदरी हैं और उनके भाई का नाम कार्तिकेय है। दुनिया के प्रथम धर्मग्रंथ ऋग्वेद में भी भगवान गणेशजी का जिक्र है। ऋग्वेद में ‘गणपति’ शब्द आया है। यजुर्वेद में भी ये उल्लेख है।
दरअसल, भारतीय धर्म और संस्कृति में भगवान गणेशजी सर्वप्रथम पूजनीय और प्रार्थनीय हैं। उनकी पूजा के बगैर कोई भी मंगल कार्य शुरू नहीं होता। कोई उनकी पूजा के बगैर कार्य शुरू कर देता है तो किसी न किसी प्रकार के विघ्न आते ही हैं। सभी धर्मों में गणेश की किसी न किसी रूप में पूजा या उनका आह्वान किया ही जाता है। गणेशजी की पूर्ति या चित्र के आसपास रिद्धि सिद्धि और शुभ लाभ क्यों लिखा जाता है यह कई लोग जानते होंगे।
दरअसल विघ्ननाशक की ऋद्धि और सिद्धि नामक दो पत्नियां हैं जो प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्रियां हैं। सिद्धि से ‘क्षेम’ और ऋद्धि से ‘लाभ’ नाम के दो पुत्र हुए। लोक-परंपरा में इन्हें ही शुभ-लाभ कहा जाता है। कहते हैं शिवपुत्र गणेश के भाई कार्तिकेय ने विवाह नहीं किया था।
शुभ और लाभ गणेशजी के पुत्र होने के नाते भगवान शंकर के पोते हुए यानि की शिवजी शुभ और लाभ के दादाजी हुए।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com