पापमोचनी एकादशी को सभी पापों को हरने वाली एकादशी भी कहा जाता है. पुराणों के अनुसार पापमोचनी एकादशी को व्रत रखना बेहद फलदायी माना गया है. कहा जाता है कि विकट से विकट स्थिति में भी पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से श्री हरि की कृपा प्राप्त होती है. कहा जाता है कि एकादशी के व्रत से चंद्रमा के हर खराब प्रभाव को रोका जा सकता है.
एकादशी व्रत से ग्रहों के बुरे प्रभाव को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है. इस व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर पर पड़ता है. इसका व्रत रखने से मन के सभी बुरे विचार नष्ट हो जाते हैं. इस वर्ष पापमोचनी एकादशी तिथि 7 अप्रैल को पड़ रही है.
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहा जाता है. चैत्र मास की यह एकादशी श्री हरि की कृपा पाने के लिए बेहद शुभ दिन होता है. व्यक्ति के सारे पापों को नष्ट करने की क्षमता के कारण ये पापमोचनी एकादशी कहलाती है. इस दिन उपवास करने से व्यक्ति पाप मुक्त हो सकता है और उसे संसार के सारे सुख प्राप्त हो सकते हैं. पापमोचनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पीले फुलों से पूजा करने पर उनकी कृपा बरसती है. इस दिन नवग्रहों की पूजा करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति होती है.
एकादशी तिथि प्रारम्भ- 07 अप्रैल 2021 सुबह 02:09 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त- 08 अप्रैल 2021 को सुबह 02:28 बजे तक
व्रत पारण का समय- 08 अप्रैल 2021 दोपहर 01:39 से शाम 04:11
साल भर में कुल 24 एकादशी आती हैं और हर एकादशी का अपना अलग महत्व है. चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहते हैं. इस भगवान विष्णु की चतुर्भुज रूप की पूजा करें. उन्हें पीले वस्र धारण कराएं और सवा मीटर पीले वस्त्र पर उन्हें स्थापित करें. दाएं हाथ में चंदन और फूल लेकर सारे दिन के व्रत का संकल्प लें. भगवान को 11 पीले फल, 11 फूल और 11 पीली मिठाई अर्पित करें. इसके बाद उन्हें पीला चंदन और पीला जनेऊ अर्पित करें. इसके बाद पीले आसन पर बैठकर भगवत कथा का पाठ या विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. प्रार्थना कहें आपके मन की इच्छा जरूर पूरी होगी.