बेरोजगार युवाओं के लिए बड़ी खुशखबरी है। उत्तर प्रदेश में पुलिस और पीएसी सिपाहियों की भर्ती बंपर भर्ती होगी। भर्ती को लेकर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। जिसके बाद बेरोजगार आवेदकों में खुशी की लहर है।यूपी में 34716 पुलिस और पीएसी सिपाहियों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं एक साथ सुनवाई के बाद खारिज कर दी हैं। याचिकाओं में दिसंबर 2015 में जारी विज्ञापन के तहत बिना लिखित परीक्षा के भर्ती करने के नियम को चुनौती दी गई थी।
कोर्ट ने कहा कि बिना लिखित परीक्षा के सिपाहियों का चयन करने में कोई अवैधानिकता नहीं है। रणविजय सिंह और दर्जनों अन्य की याचिकाओं पर मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की पीठ ने सुनवाई की। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे, विजय गौतम, सीमांत सिंह आदि ने पक्ष रखा। अधिवक्ताओं का कहना था कि 2008 के नियम 15 में सिपाही भर्ती के लिए प्रारंभिक लिखित और मुख्य लिखित परीक्षा के अलावा शारीरिक दक्षता और मेडिकल परीक्षण का प्रावधान है।
इसी आधार पर भर्तियां होती रही हैं। 2013 की 35500 सिपाही भर्ती भी इसी आधार पर की गई। प्रदेश सरकार ने अचानक नियम बदलते हुए 2015 में 34716 सिपाहियों की भर्ती हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के प्राप्तांक के आधार पर मेरिट बनाकर करने का निर्णय ले लिया। दलील दी गई कि ऐसा करने से योग्य सिपाहियों का चयन नहीं हो सकेगा।
मेरिट में सिर्फ अंकों को आधार बनाने से वास्तविक क्षमता का पता लगाना मुश्किल होगा। चूंकि सिपाही का पद महत्वपूर्ण होता है और प्रोन्नति पाने के बाद इनको लघु अपराधों की विवेचना भी करनी होती है, इसलिए लिखित परीक्षा अवश्य होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश के तहत अंतिम चयन परिणाम जारी करने पर रोक लगा दी थी।
प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा कि पुरानी प्रक्रिया में चयन में दो से तीन वर्ष का समय लग जाता है।
सरकार ने सिर्फ लिखित परीक्षा का प्रावधान समाप्त किया है। शारीरिक दक्षता के मानकों में कोई कटौती नहीं की गई है। सरकार को तत्काल सिपाहियों की आवश्यकता है। प्रक्रिया लंबी करने से नुकसान होगा। 2017 की सिपाही भर्ती में फिर से लिखित परीक्षा का प्रावधान कर दिया गया है, मगर ऐसा सिर्फ अभ्यर्थियों को शार्ट लिस्ट करने के लिए किया गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि बिना लिखित परीक्षा के सिपाहियों की भर्ती करने में कोई अवैधानिकता नहीं है।
उल्लेखनीय है कि 12 दिसंबर 2015 को जारी विज्ञापन में पुलिस और पीएसी में 28916 पुरुष आरक्षियों तथा पुलिस में 5800 महिला आरक्षियों की भर्ती की जानी थी। इसके लिए
पुलिस विभाग ने 2008 की नियमावली के नियम 15 में संशोधन कर लिखित परीक्षा का प्रावधान समाप्त कर दिया। इसे कोर्ट में चुनौती दी गई थी।