मौजूदा वित्त वर्ष में आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती का असर सरकार के खजाने पर दिखना शुरू हो गया है। आयकर विभाग के सूत्रों के जरिए हिंदुस्तान को पता चला है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल 15 जनवरी तक डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में छह फीसदी से ज्यादा की कमी देखने को मिली है।
सूत्रों ने ये भी बताया है कि इस लक्ष्य और अपनी कमाई बढ़ाने के लिए आने वाले दिनों में विभाग बड़े पैमाने पर मुहिम चलाने जा रहा है। इसमें न सिर्फ बड़े टैक्स चोरों के खिलाफ ऐक्शन लिया जाएगा बल्कि ऐसे लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी जिनके खातों से जुड़े रेड फ्लैग विभाग को डाटा एनालिटिक्स के जरिए मिले हैं।
पिछले हफ्ते आयकर अधिकारियों की हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में सभी लंबित मामलों में वसूली की प्रक्रिया तेज कर 31 जनवरी तक निपटाने के निर्देश दिए गये हैं। ताकि मौजूदा वित्त वर्ष के बचे हुए दिनों में सरकार की कमाई बढ़ाई जा सके। इनमें से विभाग को शीर्ष 100 टैक्स मांग के बड़े मामलों में आयकर अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों को ये भी कहा गया है कि जरूरत पड़ने पर छापेमारी से भी गुरेज नहीं करना है।
जानकारी के मुताबिक सितंबर 2019 तक देश में करीब 60 हजार मामले स्क्रुटिनी के लिए लंबित थे। इन सभी मामलों को समय समय पर तेजी से निपटाने के निर्देश दिए गए थे लेकिन मौजूदा दौर में कमाई घटने के चलते 31 जनवरी तक मामलों को निपटाने को कहा गया है।
डाटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल
मामलों की छानबीन के लिए विभाग डाटा एनालिटिक्स का भी इस्तेमाल कर रहा है। लोगों के जरिए दाखिल किए गए आयकर रिटर्न के आंकड़ों को सिस्टम के जरिए उनके दूसरे खातों और खर्च के आंकड़ों से भी मिलाया जा रहा है। जिन खातों में बड़ा फेरबदल होता है उनके लिए रेड फ्लैग जारी करता है। ऐसे मामलों की जांच के बाद संतोषजनक जवाब न मिलने पर विभाग ऐसे खातों का रिफंड भी रोक सकता है।
बड़े मामलों पर पैनी नजर
आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष यानी 2018-19 के अप्रैल महीने से 15 जनवरी के दौरान 7.73 लाख करोड़ रुपये का डायरेक्ट टैक्स संग्रह हुआ था। वहीं इसी दौरान मौजूदा वित्त वर्ष यानी वित्त वर्ष 2019-20 में 15 जनवरी तक करीब 7.25 लाख करोड़ रुपये का संग्रह किया जा सका है। इसमें से कॉरपोरेट टैक्स 3.83 लाख करोड़ रुपये और पर्सनल इनकम टैक्स 3.25 लाख करोड़ रुपये रहा है