मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में आज 11 साल बाद एनआइए कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है, इस मामले में विशेष एनआइए अदालत ने आरोपी स्वामी असीमानंद समेत सभी 5 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया, फैसला सुनाने के लिए आरोपी असीमानंद को नमापल्ली कोर्ट में लाया गया था. स्वामी असीमानंद इस मामले के मुख्य आरोपियों में से एक थे. 18 मई 2007 को हुए इस ब्लास्ट में 9 लोग मारे गए थे, जबकि 58 घायल हुए थे. 2011 में यह केस एनआइए को सौंप दिया गया था, 54 गवाह अपने बयान से मुकर गए थे.
गौरतलब है कि 18 मई 2007 को जुमे की नमाज के दौरान हैदराबाद की मक्का मस्जिद में एक ब्लास्ट हुआ था. इस घटना के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए हवाई फायरिंग की थी, जिसमें पांच और लोग मारे गए थे. इस घटना में 160 चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे और जांच के बाद इस घटना को लेकर दस लोगों को आरोपी बनाया गया था. इसमें अभिनव भारत के सभी सदस्य शामिल थे. स्वामी असीमानंद सहित, देवेन्द्र गुप्ता, लोकेश शर्मा उर्फ अजय तिवारी, लक्ष्मण दास महाराज, मोहनलाल रतेश्वर और राजेंद्र चौधरी को मामले में आरोपी घोषित किया गया था. दो आरोपी रामचंद्र कालसांगरा और संदीप डांगे अब भी फरार है. एक प्रमुख अभियुक्त और आरएसएस के कार्यवाहक सुनील जोशी को जांच के दौरान ही गोली मार दी गई थी.
आपको बता दें कि ब्लास्ट के मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद एक पूर्व आरएसएस कार्यकर्ता थे. उन्हें मक्का मस्जिद विस्फोट के सिलसिले में 19 नवंबर, 2010 को गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने लिखित तौर पर कहा था कि अभिनव भारत के कई सदस्यों ने मस्जिद में बम विस्फोट की साजिश रची थी. बाद में स्वामी असीमानंद को 23 मार्च 2017 को जमानत दे दी गई. असीमानंद को अजमेर ब्लास्ट केस में पहले से ही बरी कर दिया गया था. साथ ही मालेगांव और समझौता धमाके में भी उन्हें पहले ही जमानत दी जा चुकी है.
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