26 जनवरी को निकलने वाली किसानों की ट्रैक्टर परेड का जवाब देने के लिए अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी मैदान में उतर गया है। एक तरफ जहां नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठन ट्रैक्टर मार्च के जरिए लोगों और किसानों तक अपनी बात पहुंचाएंगे। वहीं परेड के जवाब में आरएसएस के एक लाख कार्यकर्ता देश के 50 हजार गांवों में पहुंचकर किसानों को नए कृषि कानूनों के फायदे गिनाएंगे।

किसान संघ के महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने मीडिया से कहा कि किसान संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में नए किसान कानूनों को लेकर गांवों के किसानों के बीच जाने का निर्णय लिया गया था। हाल ही में हुई संगठन की बैठक में ये तय किया गया है कि संघ के करीब एक लाख कार्यकर्ता 26 जनवरी को 50 हजार गांव कवर करेंगे और किसानों से बात करेंगे।
दो-दो कार्यकर्ता एक ग्राम समितियों में जाकर नए कानूनों को लेकर बताएंगे। ये सभी लोग नए किसान कानूनों पर एक छोटी पुस्तिका भी वितरित करेंगे, जिसमें कानूनों के फायदों के बारे में जानकारी होगी। इसके अलावा गांव में छोटी-छोटी संगोष्ठी भी आयोजित करेंगे।
किसान यूनियनों की ट्रैक्टर रैली पर उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण और सुरक्षा की दृष्टि से गणतंत्र दिवस समारोह को छोटा किया गया है। वहीं कुछ किसान संगठन द्वारा ट्रैक्टरों की रैली को अनियंत्रित किया जा रहा है। सुरक्षा की दृष्टि से ये कदम ठीक नहीं है। किसानों के नाम पर कलंक लगाने वाले कामों से किसान संगठन के लोग बाज आएं। ट्रैक्टर परेड में जो ट्रैक्टर आएंगे उनके ड्राइवर इसे गलियों में फंसाएंगे और ठंड से बचने के लिए आग जलाकर हाथ सेकने लग जाएंगे। इसके बाद जनता और सरकार लाचार हो जाएगी।
नए कृषि कानूनों में खामियों के सवाल पर चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों की मांगों के संदर्भ में विशेषज्ञों की समिति बनाने की बात कही है। जिसका हम स्वागत करते हैं। हमारी सरकार से मांग है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले। जो भी व्यापारी किसानों से सीधे उनके उत्पाद खरीदे वह एमएसपी से कम न हो।
इसके अलावा ट्रेडर्स के रजिस्ट्रेशन का भी प्रावधान हो। साथ ही, हमारी मांग है कि सरकार केंद्र या राज्य के स्तर पर पोर्टल बनाए और ट्रेडर्स उसमें बैंक की गारंटी के साथ अपना पंजीयन करवाएं। इससे किसान ये देख सकेगा कि जो खरीद करने आया है कि वह सही है या गलत। इसके साथ साथ ही हर जिले में कृषि अदालत बनाई जाए।
नए कृषि कानूनों को लेकर भारतीय किसान संघ का मानना है कि देश में सिर्फ गेहूं और चावल की फसल के किसान नहीं हैं। बल्कि कई तरह की खेती करने वाले किसान हैं। हमारे संगठन की जिम्मेदारी बनती है कि वह देश के सभी प्रकार के खेती किसानी के विषय को प्रमुखता से हर स्तर पर रखे। यह कानून सभी किसानों के लिए कुछ अच्छे नतीजे देने वाले हैं। इनको वापस नहीं किया जाए लेकिन इनमें कुछ संशोधन की आवश्यकता है।
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