पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत एक बार फिर से जैश ए मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकियों की सूची में शामिल करने के लिए प्रयासरत है। अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के किसी भी सदस्य देश ने आपत्ति नहीं जताई तो आज शाम तक इस आतंकी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित किया जा सकता है।
हालांकि इस बार विशेष बात यह है कि इस प्रस्ताव को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस सुरक्षा परिषद में लेकर गए हैं। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि चीन भी अपने वीटो शक्ति का प्रयोग करने से बचेगा। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि पुलवामा हमले की जिम्मेदारी लेकर जैश और उसका प्रमुख मौलाना मसूद अजहर सभी देशों की निगाहों में चढ़ गया है।
ज्ञात हो कि पठानकोट हमले के बाद मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने के लिए यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चौथा प्रस्ताव है। तीन बार इसे भारत ने प्रस्तुत किया था लेकिन, तीनों बार चीन के वीटों के कारण यह दुर्दांत आतंकी प्रतिबंधित सूची में शामिल नहीं हो सका था।
जानकारों के अनुसार मसूद के प्रतिबंधित सूची में शामिल होते ही सुरक्षा परिषद प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसकी जानकारी देगा, लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है या किसी सदस्य देश को उसके प्रतिबंधित होने पर आपत्ति है तो इसे टाला भी जा सकता है।
चीन क्यों निभा रहा है दोस्ती
क्या आप जानते हैं कि चीन बार-बार पाकिस्तान का साथ क्यों दे रहा है और क्या इसमें उसका भी कोई फायदा छिपा है? इन सवालों के जवाब आपको आज मिल जाएंगे। सबसे पहले जानिए कि मसूद अजहर है कौन?
मसूद अजहर आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद का मुखिया है। भारत सरकार उसे 13 दिसंबर 2001 को हुए संसद पर हमले और 2 जनवरी 2016 को पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के लिए जिम्मेदार मानता है।
1. दोस्ती: चीन और पाकिस्तान दोस्त हैं यह सब जानते हैं, चीन चाहता है कि वह किसी भी तरह साउथ एशिया के देशों को खुश रखे। ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन का सीधा मुकाबला भारत से है इसलिए वह ज्यादा देशों को अपनी तरफ करना चाहता है।
2. बदले में मिलती है ‘मदद’: ऐसा नहीं है कि बदले में पाकिस्तान चीन की मदद नहीं करता। आपको बता दें कि ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) और गुटनिरपेक्ष आंदोलन जैसे कई अन्य संगठनों में चीन की स्थिति कमजोर है। यहां पर चीन को शिनचियांग में मुस्लिम समुदाय पर अत्याचार और साउथ चाइना सी प्रोजेक्ट के लिए घेरा जाता है तो पाकिस्तान ही उसकी साइड लेता है।
3. यूएस से भारत की ‘दोस्ती’: चीन अमेरिका को अपना दुश्मन मानता है और भारत से उसकी दोस्ती को बर्दाश्त नहीं कर पाता। दोनों देश चीन के खिलाफ कोई रणनीति न बना पाएं इसलिए अजहर जैसे मुद्दों में वह भारत को उलझाकर रखना चाहता है। इतना ही नहीं इससे पहले न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) और सुरक्षा काउंसिल में भारत की स्थाई एंट्री पर चीन ही अड़ंगा लगाता रहा है।
4. दलाई लामा: धर्मगुरु जिन्होंने 1959 में तिब्बत छोड़कर भारत में शरण ले ली थी उनको चीन अपना मुख्य विरोधी मानता है। चीन में मौजूद भारत के पूर्व राजदूत तो यह तक कह चुके हैं कि दलाई लामा चीन के लिए लश्कर-ए-तय्यबा के हाफिज सईद के बराबर हैं।
5. वन बेल्ट वन रोड: चीन के महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में पाकिस्तान अहम भूमिका अदा कर रहा है। दुनिया के कई हिस्सों को आपस में सड़क, रेल और समुद्र मार्ग से जोड़ने के इस प्रोजेक्ट में पाकिस्तान अहम रोल अदा कर रहा है, जिसके लिए चीन द्वारा पाकिस्तान में काफी निवेश किया जा रहा है।