योशिहिदे सुगा. ये वो नाम है जिसे अगले कुछ दिनों में जापान के प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी मिलने जा रही है. सुगा इस समय जापान की सरकार में मुख्य कैबिनेट सचिव हैं. वे पीएम पद छोड़ चुके शिंजो आबे के विश्वासपात्र हैं और नए पीएम की रेस में उन्हें आबे का वरदहस्त हासिल है.

जापान में नए प्रधानमंत्री की खोज तब शुरू हुई जब अगस्त महीने के आखिर में शिंजो आबे ने स्वास्थ्य कारणों से पीएम की कुर्सी छोड़ने की घोषणा की थी.
बता दें कि जापान में अभी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) सत्ता में है. शिंजो आबे की पद छोड़ने की आसमयिक घोषणा के बाद एशिया के इस शक्तिशाली देश में हलचल मच गई. इस घोषणा का असर पूरी दुनिया पर दिखा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शिंजो आबे को निजी रूप से फोन किया और उनकी सेहत का हालचाल लिया.
इस बीच जापान में नए नेता की खोज में योशिहिदे सुगा सबसे आगे निकल गए. आज यानी कि 14 सितंबर को जापान की सत्ताधारी पार्टी में नए नेता के चुनाव पर वोट हुआ. इस चुनाव में सुगा जीत गए हैं.
एक बार जब LDP अपना नया नेता चुन लेती है तो फिर बुधवार को जापान की संसद में एक बार फिर मतदान होगा, वहां ही बहुमत में रहने की वजह से LDP के नेता का जीतना तय माना जा रहा है. इसके बाद जीते हुए शख्स की ताजपोशी प्रधानमंत्री के तौर पर की जाएगी. जापान की मौजूदा संसद का कार्यकाल सितंबर 2021 तक है.
भारत में सुगा तोते को कहा जाता है. अगर 71 साल के सुगा जापान के प्रधानमंत्री बनते हैं तो यह एक राजनेता के असाधारण रूप से सर्वोच्च पद पर पहुंचने की रोमांचक कहानी बन जाएगी.
योशोहिदे सुगा एक किसान के बेटे हैं, उनके पिता स्ट्राबेरी की खेती करते थे. सुगा का जन्म जापान के अकिता में हुआ. वहां पर हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे टोक्यो आ गए. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक यहां पर जीविका चलाने के लिए उन्हें कभी कार्डबोर्ड फैक्ट्री में नौकरी करनी पड़ी तो कभी मछली बाजार में मछली बेचनी पड़ी. दरअसल सुगा काम के साथ ही विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे, यहां नौकरी कर उन्हें यूनिवर्सिटी का खर्चा चलाने में मदद मिल जाती थी.
ग्रेजुएशन करने के बाद सुगा जापान के तेज रफ्तार कॉरपोरेट वर्ल्ड में शामिल हो गए और अच्छी तनख्वाह पर नौकरी करने लगे. लेकिन सियासत का संघर्ष उनका इंतजार कर रहा था.
आखिरकार नौकरी में उनका मन नहीं लगा और वे योकोहामा सिटी काउंसिल के लिए चुनाव लड़ने उतर गए. सीएनएन के मुताबिक तब न उनका कोई राजनीतिक कनेक्शन था और न ही सियासत का अनुभव. लेकिन सुगा अपने दम पर चुनाव लड़ने उतर पड़े. घर घर जाकर उन्होंने अपने प्रचार अभियान की शुरूआत कर दी. वे एक दिन में 300 घरों में जाते. एलडीपी के मुताबिक जबतक चुनाव प्रचार खत्म हुआ वो लगभग 30000 घरों में जा चुके थे. पार्टी के मुताबिक जब चुनाव खत्म हुआ तब तक सुगा 6 जोड़ी जूते पहनकर फाड़ चुके थे. जापान के राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि सुगा सेल्फ मेड मैन हैं, उनके पीछे संघर्ष की कहानी है.
सुगा और आबे का साथ साल 2012 से है. सुगा अब शिंजो आबे के दाहिना हाथ माने जाते हैं. जापान में सुगा व्यावहारिक नेता माने जाते हैं और उनके बारे में धारणा है कि वे पर्दे के पीछे रहकर डील तय करते हैं. राजनीतिक पर्यवेक्षक कहते हैं कि कोई भी काम को करवाने के लिए अगर सुगा हां कर देते हैं तो उनपर भरोसा किया जा सकता है.
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