भाजपा से नाता तोड़ चुके शिरोमणि अकाली दल (शिअद) को झटका देते हुए केंद्र सरकार ने सीनियर अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की जेड श्रेणी सुरक्षा वापस ले ली है। केंद्र से भेजे गए पत्र के बाद पंजाब सरकार ने अब मजीठिया की सुरक्षा की समीक्षा करने का फैसला लिया है ताकि यह तय किया जा सके कि उन्हें किस प्रकार की सुरक्षा प्रदान की जाए। इस बीच, शिअद ने केंद्र सरकार के इस फैसले को राजनीतिक रंजिश की कार्रवाई करार दिया है।
मजीठिया को केंद्र सरकार से जेड श्रेणी सुरक्षा पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के आग्रह पर प्रदान की गई थी। मजीठिया को गैंगस्टरों और विदेशों में छिपे अराजक तत्वों से लगातार धमकियां मिलने के कारण अकाली-भाजपा सरकार ने उन्हें जेड श्रेणी सुरक्षा देने की मांग की थी। इस सुरक्षा के तहत मजीठिया को सीआईएसएफ के 30-40 जवान और दो एस्कार्ट वाहन मुहैया कराए गए थे। लेकिन केंद्र के नए आदेश के बाद यह सारी सुरक्षा वापस ले ली गई है। अब मजीठिया की सुरक्षा केवल पंजाब पुलिस के अधीन है।
गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने जुलाई 2018 में राज्य के सियासी नेताओं और अन्य महत्वपूर्ण हस्तियों की सुरक्षा की समीक्षा करते हुए मजीठिया की सुरक्षा से 11 जवान वापस बुला लिए थे। राज्य सरकार ने केंद्र से ताजा पत्र के बाद डीजीपी को मजीठिया की सुरक्षा की समीक्षा करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में यूथ अकाली दल ने राजपुरा में भाजपा नेता का पुतला जलाया था। उसके कुछ दिनों बाद केंद्र के इस फैसले को भाजपा के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है।
माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में पंजाब में दोनों दलों के बीच सियासी खींचतान और तेज हो सकती है। केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में शुरू हुए किसान आंदोलन के कारण अकाली दल ने 1992 से भाजपा के साथ चला आ रहा गठबंधन तोड़ दिया है।
बिक्रम सिंह मजीठिया की सुरक्षा वापस लेने संबंधी केंद्र सरकार के फैसले की निंदा करते हुए अकाली दल के सीनियर नेता और उपाध्यक्ष डा. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि मजीठिया को गैंगस्टरों से लगातार धमकियां मिल रही हैं, जिसके कारण उनकी सुरक्षा बढ़ाई गई थी। लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी सुरक्षा हटाने का फैसला राजनीतिक रंजिश के चलते लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार अपने विरोधियों का जीवन खतरे में डाल रही है।