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बड़ी खबर: आसाराम की गिरफ्तारी की कहानी अब किताब के रूप में बाजार में आएगी

रेप के दोषी आसाराम की गिरफ्तारी की कहानी अब किताब के रूप में बाजार में आ रही है. इस किताब में गिरफ्तारी के दौरान की भागमभाग, मीडिया को चकमा देने के लिए पुलिस द्वारा रची गई कहानियां और आसाराम का पुलिस को दिया गया वो बयान भी शामिल है जिसमें वो कहता है कि मैंने गलती कर दी.

इसके अलावा आसाराम गिरफ्तार करने आई पुलिस को यह भी कहता है कि अभी तुम्हारे मोबाइल में ऊपर से फोन आएगा. तुम मुझे गिरफ्तार नहीं कर सकते हो. उसके बाद उस पुलिस अधिकारी ने अपने मोबाइल का क्या किया ये रोमांचक किस्सा है?

इस किताब का नाम है, ‘Gunning for the Godman: The True Story Behind Asaram Bapu’s Conviction’ इस किताब को लिखा है आईपीएस ऑफिसर अजयपाल लाम्बा ने, जिन्होंने 2013 में उस पुलिस टीम की कमान संभाली थी जिसने आसाराम की गिरफ्तारी की थी. पुस्तक के सह लेखक हैं अरविंद माथुर और प्रकाशक है हॉर्पर कोलिन्स.

पुस्तक में एक स्थान पर आसाराम और पुलिस के बीच संवाद का कुछ इस तरह जिक्र है, “बाबा तू ये बता की ये सब क्या कर डाला तूने, जल्दी बता, मैंने थोड़े कर्कश टोन में उससे पूछा. इसके जवाब में बाबा ने जो कहा उसे सुनकर मैं चौक गया. बाबा ने कहा गलती कर दी, गलती कर दी मैंने.”

पुस्तक में उस वक्त का जिक्र है जब पुलिस टीम आसाराम को गिरफ्तार करने पहुंची थी. “तुम ऐसा नहीं सकते…तुम अभी ऊपर से ऑर्डर आ जाएंगे कि मुझको अरेस्ट नहीं कर सकते. आसाराम ने पुलिस पर अपना रौब झाड़ने की कोशिश की, इसके जवाब में सुभाष ने अपने पॉकेट से मोबाइल फोन निकाला और फोन को ही स्विच ऑफ कर दिया.”

बता दें कि आसाराम बापू की गिरफ्तारी 7 साल पहले हुई थी. लेकिन आईपीएस ऑफिसर अजयपाल लाम्बा जिन्होंने उस साल अगस्त में उस पुलिस टीम को लीड किया था, जिसने रेप के दोषी आसाराम की गिरफ्तारी की थी. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अजयपाल लाम्बा कहते हैं कि आसाराम के समर्थकों से उन्हें धमकी भरे फोन कॉल आते हैं. इन धमकियों से डरकर एक बार उनकी पत्नी ने तो अपनी बेटी को स्कूल भेजना बंद कर दिया.

जयपुर के एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस अजयपाल लाम्बा कहते हैं कि जब से आसाराम के समर्थकों को पता चला है कि वो किताब लिख रहे हैं उन्हें और भी धमकियां मिलनी शुरू हो गई है.

इस किताब के हिस्से 5 सितंबर को वर्चुअली रिलीज किए जाएंगे. इंडियन एक्सप्रेस लिखता है कि इस किताब को पढ़ना OTT थ्रिलर जैसा एहसास है. आसाराम की गिरफ्तारी मुकम्मल करने के लिए अजयपाल ने अपनी टीम के बेस्ट ऑफिसरों ‘टफ ट्वेंटी’ को चुना. इनमें से कई ऑफिसर अंडरकवर हो गए और आसाराम के समर्थकों में मिल गए और वहां से खुफिया जानकारियां पुलिस को पहुंचाते रहे.

कई दूसरे अधिकारियों ने कानूनी पेचिदगियों का अध्ययन किया, कुछ पूछताछ में जुटे, तो कुछ ने साइबर स्किल के जरिए केस को क्रैक करने में मदद की.

अजयपाल लाम्बा तब जोधपुर वेस्ट के डीसीपी थे, वे कहते हैं कि आसाराम की गिरफ्तारी के लिए उन्होंने मीडिया का जमकर लाभ उठाया.

उन्होंने कहा कि एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को ब्लफ किया कि आसाराम को गिरफ्तार करने के लिए एक टीम भेज दी गई है. तभी उनके एक मित्र ने जो ये प्रेस कॉन्फ्रेंस देख रहा था, ने बताया कि आसाराम भोपाल एयरपोर्ट पर दिखा था. लाम्बा ने यही जानकारी मीडिया को दी.

लाम्बा लिखते हैं, ” मैं जैसा चाहता था वैसा ही हुआ, इसके बाद मीडिया भोपाल से आसाराम के सभी मूवमेंट पर नजर रखने लगी, इसके बाद मुझे उसके सर्विलांस की कोई जरूरत नहीं पड़ी. वो आदमी डरकर भागने लगा, और हमने सावधानी पूर्वक उसके लिए जो जाल बिछाया था उसमें आकर फंस गया.”

आसाराम आखिरकार इंदौर पहुंचा वहां पर उसके समर्थकों के भारी विरोध के बावजूद उसे गिरफ्तार कर लिया गया. बता दें कि आसाराम के खिलाफ दिल्ली में रेप का मुकदमा दर्ज होने के 10 दिन के अंदर आसाराम को गिरफ्तार कर लिया गया था.

इस किताब में अजयपाल लाम्बा लिखते हैं कि आसाराम के समर्थक एक बार उनके गांव लंबी की धाणी पहुंचे गए. ये गांव सीकर जिले में नीम का थाना सब डिवीजन में है. इस गांव में मात्र 20 परिवार रहते हैं. आसाराम के समर्थकों ने पूरे गांव को घेर लिया. हालात इतने बिगड़ गए कि उन्हें हटाने के लिए पुलिस बुलानी पड़ गई.

अप्रैल 2018 में जोधपुर स्पेशल कोर्ट ने आसाराम को एक नाबालिग लड़की के साथ रेप का दोषी पाया. अदालत ने आसाराम को पोक्सो कानून के तहत आजीवन कारावास (मृत्यु तक) और 1 लाख रुपये  जुर्माने की सजा सुनाई.

इस पुस्तक पर आसाराम के वकील प्रदीप चौधरी कहते हैं कि उन्होंने किताब नहीं पढ़ी है, किताब पढ़ने के बाद ही वे बता पाएंगे कि क्या सही है, क्या गलत है, हमारी अपील हाईकोर्ट में पेडिंग है और इसकी सुनवाई 14 सितंबर को है.

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