अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के साथ सरयू के तट पर पंचधातु से बनने वाली 251 मीटर ऊंची राम प्रतिमा भी भारतीय मूर्तिकला का अनूठा नमूना होगी। मूर्ति के भीतरी ढांचे में मजबूती के लिए आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जाएगा, लेकिन बाहरी ढांचे को आकार देने के लिए कांस्य को ही प्रयोग में लाया जाएगा।

पंच धातु से बनी दुनिया की सबसे ऊंची इस प्रतिमा को लगभग 100 साल बाद दोबारा संरक्षित करना होगा। मूर्ति को तैयार करने की जिम्मेदारी मूर्तिकार मातुराम वर्मा और कनाडा से मूर्तिकला में पारंगत होकर लौटे और निर्माण में साथ दे रहे उनके पुत्र नरेश वर्मा को दी गई है।
इसके शुरुआती प्रेजेंटेशन को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने काफी सराहा है। मातुवर्मा और नरेश वर्मा ने अमर उजाला से बातचीत में बताया कि यह मूर्ति परंपरागत और मॉडर्न मूर्तिकला का समन्वय धारण किए अद्वितीय होगी।
इसके लिए उनकी टीम ने राज्य सरकार को इसकी कार्ययोजना बनाकर सौंप दी है। राम की मूर्ति उनकी कल्पना में ऐसी है जिसमें राम सौंदर्य, पराक्त्रस्म के साथ दृढ़ता के भाव लिए हों।
उनका व्यक्तित्व संदेश दे समाज को पराक्त्रस्म और मर्यादा में किस तरह से अपने व्यक्तित्व को साधारण बनाए रखना चाहिए। यह मूर्ति एक ऐसे व्यक्तित्व की प्रतिकृति होगी जो पुरोषत्तम है, समग्र है, तटस्थ है, निर्विकार है और सबको एक समान दृष्टि से देखता है।
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