एजेंसी/ नई दिल्ली: गृह मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी कुछ और फाइलों को सार्वजनिक किया गया। जिससे पता चला है कि ब्रिटिश सरकार ने उन्हें कभी भी क्रिमिनल ऑफ वॉर करार नहीं दिया है। यह तथ्य जवाहर लाल नेहरु के संदर्भ में दिया जाता है कि नेहरु जी ने तत्कालीन ब्रिटिश पीएम क्लीमंट एटली को पत्र लिखा था।
जिसमें नेताजी का जिक्र क्रिमिनल ऑफ वॉर के तौर किया गया था। इस तत्य के सामने आने के बाद एक बार फिर से विवाद शुरु हो गया है। फाइलों के मुताबिक 2001 में ब्रिटेन ने भारत सरकार को लिखित रुप में सूचित किया था कि बोस उनके लिए कभी क्रिमिनल ऑफ वॉर रहे ही नहीं।
कांग्रेस के लिए यह जानकारी नया विवाद पैदा कर सकती है। ब्रिटेन द्वारा यह जवाब जब भारत को मिला तो केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी। इतना ही नहीं यहभी पता चला है कि कांग्रेस सरकार ने उस घर को भी अधिग्रहित करने से इंकार कर दिया था, जिसमें काबुल यात्रा के दौरान बोस ठहरे थे।
1988 में विदेश मंत्री नटवर सिंह ने खत लिखकर उस घऱ को अधिग्रहित करने स इंकार कर दिया था। सरकार ने सदन में यह भी कहा था कि केंद्र सरकार का नेताजी से जुड़ी फाइलों को खोलने का कोई इरादा नहीं है। सार्वजनिक किए गए फाइलों से यह भी ज्ञात हुआ है कि बोस की मौत को लेकर बनाई गई ती कमेटियों में से एक कमेटी की फाइलें गायब है।
हांला कि 1991 में पी वी नरसिंहा सरकार ने नेताजी को मरणोपरांत भारत रत्न देने की तैयारी की थी। लेकिन नेताजी के परिजनों ने इससे इंकार कर दिया। यह जानकारी केवल संस्कृति मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए दो फाइलों के आधार पर दी गई है।
फाइलों से यह भी पता चला है कि नेताजी को भारत रत्न देने की मांग राज्यसभा में प्रमोद महाजन ने उठाई थी। जारी की गई 25 फाइलों में से 7 पीएमओ से, 4 गृह मंत्रालय से और 14 विदेश मंत्रालय से जुड़ी हुई है।