
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को लोकसभा में जानकारी देते हुए कहा कि बैंकों के पास बाउंसरों को रखने का अधिकार नहीं हैं। उन्होंने बताया कि बैंक ग्राहकों से जबरन कर्ज की वसूली के लिए बाउंसरों की नियुक्त नहीं कर सकते है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का स्पष्ट निर्देश है कि बैंक अपने कर्ज की रिकवरी के लिए पुलिस वेरिफिकेशन और अन्य जरूरी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद ही रिकवरी एजेंटों की नियुक्ति कर सकता है। साथ ही ये जिम्मेदारी बैंकों की है कि लोन रिकवरी एजेंट का व्यवहार ग्राहकों के प्रति असभ्य न हो और न ही वो कोई गलत तरीका अपनाएं।
प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि किसी भी बैंक के पास जबरदस्ती कर्ज वसूलने के लिए बाउंसरों को नियुक्त करने की कोई शक्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि आरबीआई ने कर्जदाताओं की सुरक्षा के लिए बैंकों को उचित दिशा निर्देश जारी किए हैं। जिन्हें हर हाल में अपनाया जाना आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि ग्राहकों को परेसान करने को लेकर आरबीआई ने कई शिकायतों के संबंध में सूचित किया था।शिकायतों में आरबीआइ के दिशानिर्देशों के उल्लंघन और बैंकों के वसूली एजेंटों द्वारा दुर्व्यवहार की घटनाओं के बारे में सूचित किया गया था, जिसे हमने गंभिरतापूर्क लिया। बैंकों के द्वारा लगातार कर्ज की वसूली के लिए ग्रहकों को डराया धमकाया जाता है। बैंक द्वारा नियुक्त किए गए बाउंसर ग्राहकों से जबरन कर्ज वसूलते हैं। एसे में ग्रहकों के हितों की रक्षा के लिए कदम उठाया गया है।
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