बैंक कर्मचारी की मदद से इंजीनियरिंग छात्र खाली कर रहे थे कंपनियों के बैंक खाते

दिल्ली और बिहार में बैठकर सोशल मीडिया के वाट्सएप पर कंपनियों के खातों से रकम पार की जा रही थी। गिरोह में आइआइटी और बीटेक छात्र के अलावा बैंक के पूर्व कर्मचारी भी शामिल थे।दिल्ली और बिहार में बैठकर सोशल मीडिया के वाट्सएप पर कंपनियों के खातों से रकम पार की जा रही थी। गिरोह में आइआइटी और बीटेक छात्र के अलावा बैंक के पूर्व कर्मचारी भी शामिल थे।  इंजीनियरिंग छात्रों का काम इंटरनेट से कंपनियों एवं फर्म के खातों का डाटा निकालना था। फिर ग्राहक बनकर संपर्क करने के बाद कंपनियों का खाता खाली कर देते थे। जीआरपी फोर्ट ने कल गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया।  जीआरपी के मुताबिक पकड़े लोगों में अमित कुमार निवासी जोगीपारा थाना जाले जिला दरभंगा, बिहार खुद को आइआइटी का छात्र बताता है। उसका साथी अनुज कुमार निवासी गौस नगर थाना सरमेरा जिला नालंदा बिहार, बीटेक का छात्र है। जबकि राकेश रंजन पासवान निवासी बढ़वारा पंजायत थाना दानहार जिला मुजफ्फरपुर, बिहार एक्सिस बैंक का पूर्व कर्मचारी है। गिरफ्तार तीन अन्य सदस्यों के नाम सवनूर निवासी ढलाई वाली गली रशीद नगर थानालिसाड़ी गेट मेरठ, सरवर निवासी चमन कॉलोनी थाना लिसाड़ी गेट मेरठ और इरफान निवासी पुरवा फैयाज अली थाना देहली गेट मेरठ हैं।  पकड़े आरोपितों ने पुलिस पूछताछ में बताया कि गिरोह के सरगना दिल्ली निवासी आलम और बिहार के कलीम हैं। वह दोनों सिर्फ वाट्सएप पर ही संपर्क करके निर्देश देते थे। दोनों से उनकी मुलाकात नहीं हुई। आइआइटी के छात्र रहे अमित और बीटेक छात्र अनुज का काम इंटरनेट पर विभिन्न फर्म के एकांउट खोजने का था। कंपनियों की फेहरिस्त तैयार करने के बाद वह उनसे ग्राहक बनकर संपर्क करते। कंपनी या फर्म को अपने प्रभाव में लेने के बाद उसे भुगतान करने के बहाने से खाता नंबर ले लेते थे। इसके बाद इंटरनेट की मदद से खाते में कितनी रकम जमा है, इसकी जानकारी हासिल कर लेते। गिरोह खातों से अब तक करोड़ों रुपये निकाल चुका है। इंस्पेक्टर जीआरपी फोर्ट ललित त्यागी ने बताया कि आरोपितों पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा गया है।  बैंक कर्मचारी की लेते थे मदद  खातों में जमा रकम के बारे में गिरोह पूर्व बैंक कर्मचारी राकेश रंजन की भी मदद लेते थे। उसे बैंकों के बारे में काफी जानकारी थी। वह अपने परिचित बैंक कर्मियों से भी बातचीत के दौरान कई लोगों के खातों में जमा रकम की जानकारी हासिल कर लेता था।  अमेरिका और चंडीगढ़ के खाता संख्या भी मिले  गिरोह के पास से जीआरपी को अमेरिका और चंडीगढ़ के खाते भी मिले हैं। इनके बारे में आरोपितों से पूछताछ भी की। उनका कहना था कि सरगना ने वाट्सएप पर दोनों खाते भेजे थे। इनमें से रकम दूसरे खाते में ट्रांसफर करने की तैयारी थी।

इंजीनियरिंग छात्रों का काम इंटरनेट से कंपनियों एवं फर्म के खातों का डाटा निकालना था। फिर ग्राहक बनकर संपर्क करने के बाद कंपनियों का खाता खाली कर देते थे। जीआरपी फोर्ट ने कल गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया।

जीआरपी के मुताबिक पकड़े लोगों में अमित कुमार निवासी जोगीपारा थाना जाले जिला दरभंगा, बिहार खुद को आइआइटी का छात्र बताता है। उसका साथी अनुज कुमार निवासी गौस नगर थाना सरमेरा जिला नालंदा बिहार, बीटेक का छात्र है। जबकि राकेश रंजन पासवान निवासी बढ़वारा पंजायत थाना दानहार जिला मुजफ्फरपुर, बिहार एक्सिस बैंक का पूर्व कर्मचारी है। गिरफ्तार तीन अन्य सदस्यों के नाम सवनूर निवासी ढलाई वाली गली रशीद नगर थानालिसाड़ी गेट मेरठ, सरवर निवासी चमन कॉलोनी थाना लिसाड़ी गेट मेरठ और इरफान निवासी पुरवा फैयाज अली थाना देहली गेट मेरठ हैं।

पकड़े आरोपितों ने पुलिस पूछताछ में बताया कि गिरोह के सरगना दिल्ली निवासी आलम और बिहार के कलीम हैं। वह दोनों सिर्फ वाट्सएप पर ही संपर्क करके निर्देश देते थे। दोनों से उनकी मुलाकात नहीं हुई। आइआइटी के छात्र रहे अमित और बीटेक छात्र अनुज का काम इंटरनेट पर विभिन्न फर्म के एकांउट खोजने का था। कंपनियों की फेहरिस्त तैयार करने के बाद वह उनसे ग्राहक बनकर संपर्क करते। कंपनी या फर्म को अपने प्रभाव में लेने के बाद उसे भुगतान करने के बहाने से खाता नंबर ले लेते थे। इसके बाद इंटरनेट की मदद से खाते में कितनी रकम जमा है, इसकी जानकारी हासिल कर लेते। गिरोह खातों से अब तक करोड़ों रुपये निकाल चुका है। इंस्पेक्टर जीआरपी फोर्ट ललित त्यागी ने बताया कि आरोपितों पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा गया है।

बैंक कर्मचारी की लेते थे मदद

खातों में जमा रकम के बारे में गिरोह पूर्व बैंक कर्मचारी राकेश रंजन की भी मदद लेते थे। उसे बैंकों के बारे में काफी जानकारी थी। वह अपने परिचित बैंक कर्मियों से भी बातचीत के दौरान कई लोगों के खातों में जमा रकम की जानकारी हासिल कर लेता था।

अमेरिका और चंडीगढ़ के खाता संख्या भी मिले

गिरोह के पास से जीआरपी को अमेरिका और चंडीगढ़ के खाते भी मिले हैं। इनके बारे में आरोपितों से पूछताछ भी की। उनका कहना था कि सरगना ने वाट्सएप पर दोनों खाते भेजे थे। इनमें से रकम दूसरे खाते में ट्रांसफर करने की तैयारी थी।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com