इकोनॉमिक सर्वे 2018-19 में गुरुवार को कहा गया है कि बीते वित्त वर्ष में बेड लोन में गिरावट से बैंकिंग सेक्टर का प्रदर्शन सही हुआ है, लेकिन कैपिटल मार्केट से आई धन में गिरावट और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस सेक्टर में तनाव के कारण वित्त प्रवाह बाधित हुआ है।
मौद्रिक नीति में पिछले साल यू-टर्न देखा गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में सर्वे को खत्म करते हुए कहा कि बेंचमार्क नीति की दर पहले 50 आधार अंकों (BPS) और बाद में प्रत्याशित मुद्रास्फीति, विकास मंदी और नरम अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक परिस्थितियों के कारण 75 BPS तक कम हो गई थी।
बैंकिंग सिस्टम के प्रदर्शन में सुधार हुआ है क्योंकि नॉन-परफोर्मिंग एसेट (NPA) अनुपात में गिरावट आई है और क्रेडिट ग्रोथ में तेजी आई है। उन्होंने कहा कि हालांकि अर्थव्यवस्था के वित्त प्रवाह में बाधा बनी हुई है क्योंकि कैपिटल मार्केट से इक्विटी फाइनेंस की मात्रा में गिरावट और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) क्षेत्र में तनाव है। सीतारमण ने कहा कि दिवाला और दिवालियापन के लिए इकोसिस्टम व्यवस्थित रूप से बनाया जा रहा है। लिक्विडीटी की स्थिति है वो हालांकि थोड़ी सी कठिन रही।
सीतारमण के पास कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय का प्रभार भी है उन्होंने लिक्विडीटी के मुद्दे पर इकोनॉमिक सर्वे में कहा है कि 2018-19 की अंतिम दो तिमाहियों के साथ-साथ 2019-20 की पहली तिमाही में घाटे वाले क्षेत्र में औसतन स्थिति बदल गई है। उन्होंने कहा कि पब्लिक सेक्टर के बैंकों (PSB) के प्रदर्शन में सेक्टर 2018-19 के दौरान सुधार देखा गया और मार्च 2018 और दिसंबर 2018 के बीच सकल NPA अनुपात 11.5 फीसद से घटकर 10.1 फीसद हो गया।