उत्तर कोरिया गंभीर खाद्य संकट से गुजर रहा है। देश में खाने पीने की काफी कमी हो गई है। यूएन फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन फोरकास्ट ने इसको लेकर चेतावनी दी है। यूएन फूड का कहना है कि इस वर्ष उत्तर कोरिया में 8.60 लाख टन खाद्य पदार्थों की कमी आई है। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने भी इस बात को माना है कि मौजूदा समय काफी मुश्किलों भरा है। उन्होंने खाद्य पदार्थों में कमी को लेकर देश की आबादी को चेतावनी भी दी है। उनका कहना है कि लोगों को सबसे खराब हालातों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।
उत्तर कोरिया ने पिछले माह इस बात को माना भी था कि वो मौजूदा समय में खाद्य संकट से गुजर रहा है। फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक उत्तर कोरिया में इस वर्ष 5.6 लाख टन की पैदावार हुई है। ये पैदावार देश की आबादी का पेट भरने के लिए नाकाफी है। एफएओ का कहना है कि देश की आबादी का पेट भरने के लिए इसमें करीब 1.1 लाख टन की कमी है। इस कमी को देखते हुए उत्तर कोरिया विदेशों से करीब 2.5 लाख टन खाद्य पदार्थ आयात करने पर विचार कर रहा है।
एफएओ का ये कहना है कि यदि खाद्य पदार्थों को आयात करने से ये समस्या हल नहीं हुई तो देश के लोगों को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसमें ये भी कहा गया है कि देश में ये हालात अगस्त से अक्टूबर के बीच ही आ सकते हैं। एफएओ ने कहा है कि वैश्विक महामारी के चलते उत्तर कोरिया ने पिछले वर्ष जनवरी से अपनी सीमाओं को पूरी तरह से सील कर रखा है। इसका सबसे बुरा प्रभाव उसके यहां पर चीन से आने वाले सामान पर पड़ रहा है।
आपको बता दें कि चीन उत्तर कोरिया का सबसे बड़ा निर्यातक है। उत्तर कोरिया की अधिकतर जरूरत की चीजों की आपूर्ति चीन से ही होती है। लेकिन सीमाओं के सील कर देने के बाद यहां से आने वाली वस्तुओं में काफी कमी दर्ज की गई है। वहीं उत्तर कोरिया को मदद करने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय संगठन इस देश से बाहर जा चुके हैं।
पिछले वर्ष गर्मी में यहां पर आई भीषण बाढ़ में हजारों घर तबाह हो गए थे और कृषि योग्य भूमि भी खत्म हो गई थी। उत्तर कोरिया में 1990 में भीषण अकाल पड़ा था जिसकी चपेट में पूरा देश आया था। उस वक्त इसकी वजह से हजारों लोगों की मौत हो गई थी। उस वक्त तत्कालीन सोवियत संघ ने भी उत्तर कोरिया को कोई मदद नहीं दी थी।
गौरतलब है कि उत्तर कोरिया पर उसके परमाणु कार्यक्रम और बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम के चलते काफी समय से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हुए हैं। इसकी वजह से देश की आर्थिक हालत काफी खराब हो चुकी है। वैश्विक महामारी की वजह से भी देश को आर्थिक रूप से चपत लगी हुई है।