बूंद-बूंद को तरसेगा पाकिस्तान, Visa पर भी रोक; भारत के 5 बड़े फैसले

पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर आतंकवादियों के कायराना हमले के बाद भारत ने बुधवार को पांच बड़े फैसले किये जिसे सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ अभी तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा सकती है।

बुधवार शाम पीएम नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक हुई जिसमें भारत ने पाकिस्तान के साथ वर्ष 1960 में किये गये सिंधु जल समझौते को रोकने का फैसला किया।

पाकिस्तान की इकोनमी हो सकती है बदहाल

पाकिस्तान जब तक सीमा पार आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई नहीं करेगा, तब तक यह समझौता रुका रहेगा। इस फैसले की अहमियत इस बात से समझी जा सकती है कि पूर्व में दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति में भी भारत ने सिंधु जल समझौते को रद्द नहीं किया था।

इस समझौत के तहत दोनों देशों के बीच साझा छह नदियों के जल के बंटवारे का प्रबंधन है। समझौता का रद होना पहले से ही खस्ताहाल पाकिस्तान की इकोनमी को और बदहाल कर सकता है। सीसीएस के फैसलों के बारे में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने जानकारी दी।

सीसीएस का दूसरा अहम फैसला है पंजाब प्रांत की सीमा पर स्थित अटारी चेक पोस्ट को तत्काल प्रभाव से बंद करना। जिन पाकिस्तानी नागरिकों ने अटारी सीमा से भारत में प्रवेश किया है उन्हें एक मई, 2025 तक लौट जाने को कहा गया है।

तीसरा, फैसला यह है कि पाकिस्तान के ऐसे नागरिक जिन्हें सार्क वीजा एक्जेंपशन स्कीम (एसवीईएस) के तहत भारत आने की छूट खत्म कर दी गई है। पूर्व में इसके तहत जिन पाकिस्तानी नागरिकों को यह वीजा दिया गया है उसे रद्द कर दिया गया है।

वर्ष 1992 से यह स्कीम लागू थी जिसके तहत पाकिस्तान के विशिष्ठ नागरिकों (पत्रकारों, उद्योगपतियों, कलाकारों, राजनेताओं आदि) को विशेष सुविधा के तहत भारत आने की छूट होती है। भारत ने कहा है कि अगर कोई पाकिस्तान नागरिक उक्त वीजा स्कीम के तहत भारत में है तो उसे 48 घंटे के तहत भारत छोड़ना होगा।

सीसीएस का चौथा फैसला यह है कि भारत ने पाकिस्तानी उच्चायोग में सैन्य, नौ सेना और वायु सेना सलाहकारों को अवांछित (पर्सन नान ग्राटा) घोषित कर दिया है। इन सलाहकारों को एक हफ्ते के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है।

साथ ही भारत ने इस्लामाबाद स्थित अपने दूतावास से भी इन पदों पर तैनात अधिकारियों को वापस बुला लिया है। दोनों उच्चायोगों से पाच सहायक कर्मचारियों को भी बुलाने का फैसला किया गया है।

सीएस का पांचवां व अंतिम फैसला यह है कि पाकिस्तान उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या 55 से घटा कर 30 कर दिया गया है। भारत ने एक तरह से पाकिस्तान के राजकीय स्तर को और घटा दिया है। वर्ष 2019 में जब भारत ने कश्मीर से धारा 370 समाप्त किया था, उसके बाद पाकिस्तान ने अपने उच्चायोग को वापस बुला लिया था। भारत ने भी ऐसा ही किया था।

ढाई घंटे तक चली मीटिंग में क्या-क्या हुआ?
तकरीबन ढ़ाई घंटे चली सीसीएस की बैठक के बारे में विदेश सचिव मिसरी ने यह बताया कि, “सीसीएस ने पूरी स्थिति की समीक्षा की और सभी सैन्य बलों को उच्चस्तरीय सतर्कता बरतने का आदेश दिया। यह संकल्प लिया गया कि पहलगाम हमले के दोषियों को दंडित किया जाएगा और उनके आकाओं को भी दोषी ठहराया जाएगा। हाल ही में जैसे भारत ने तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण किया है वैसे ही भारत इन आतंकी वारदातों को अंजाम देने वालों के खिलाफ कार्रवाई में भारत कोई कसर नहीं छोड़ेगा।”

मिसरी ने यह संकेत दिया कि पहलगाम हमले के बाद जिस तरह से भारत को वैश्विक समर्थन मिला है और इस घटना की निंदा हुई है, उससे पाकिस्तान के खिलाफ बेहद सख्त कदम उठाने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि. “कई सरकारों ने हमें काफी मजबूत समर्थन दिया है और सभी ने इस घटना की निंदा की है। हम इन समर्थन की प्रशंसा करते हैं और यह बताता है कि आतंकवाद के खिलाफ जीरो टोलेरेंस की नीति होनी चाहिए।”

मीटिंग में इन नेताओं ने की शिरकत
बैठक में पीएम मोदी के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, एनएसए अजीत डोभाल, पीएम के विशेष सचिव डॉ. शक्तिकांत दास, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका और रा प्रमुख रवि सिन्हा उपस्थित थे।

पीएम मोदी बुधवार सुबह ही सऊदी अरब की यात्रा से लौटे हैं। दिन भर उन्होंने पहलगाम हमले से जुड़े तथ्यों पर अलग-अलग बैठकें की। कई चरणों में विमर्श के बाद सीसीएस की बैठक में उक्त फैसलों पर मुहर लग सकी। मिसरी ने बताया कि, सीसीएस के समक्ष यह बात रखी गई कि हाल ही में जम्मू व कश्मीर राज्य में हुए सफल चुनाव व वहां हो रही चौतरफा विकास की गति को रोकने के लिए इस आतंकी हमले को अंजाम दिया गया है।

तीनों सेना के प्रमुखों के साथ तीन घंटे तक बैठक कर चुके रक्षा मंत्री सिंह ने भी सीसीएस को सैन्य तैयारियों की जानकारी दी। पूरी बैठक के दौरान पीएम मोदी की मुद्रा गंभीर थी। उनका स्पष्ट रुख था कि भारत आतंकियों और उनका पोषण करने वालों को करारा जवाब देने से बिल्कुल नहीं हिचकेगा।

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