बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव का रोड मैप तैयार कर रही है बीजेपी, वैश्य समुदाय, अतिपिछड़ा वर्ग बनेगी सुनहरी चाबी

जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार सोमवार को शाम साढ़े चार बजे बिहार के 37वें मुख्यमंत्री के तौर पर 7वीं बार शपथ लेंगे, लेकिन उपमुख्यमंत्री के नाम पर संशय कायम है. बीजेपी की तरफ से अभी तक किसी भी नाम की घोषणा नहीं की गई है. हालांकि, तारकिशोर प्रसाद को बीजेपी विधानमंडल के नेता और रेणु देवी को उपनेता चुने जाने के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि बिहार के दोनों डेप्युटी सीएम बनाए जा सकते हैं. तारकिशोर वैश्य समुदाय से आते हैं जबकि रेणु देवी को आगे लाने को अतिपिछड़ा वर्ग के साथ महिला को सियासी संदेश देने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है.

कटिहार से चार बार के विधायक तारकिशोर प्रसाद और बेतिया से विधायक रेणु देवी के नामों की पूर्व में कोई चर्चा नहीं थी, लेकिन एनडीए विधायकों की बैठक के बाद जब दोनों नाम सामने आए तो सभी लोग हैरान रह गए, रेणु देवी पहले भी पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद संभाल चुकी हैं, लेकिन तारकिशोर पहली बार अहम पद के लिए चुने गए हैं. विधानमंडल नेता ही पार्टी का चेहरा माना जाता है. हालांकि, तारकिशोर और रेणु देवी दोनो ही पार्टी के पुराने और बिहार में बीजेपी के भविष्य की राजनीतिक समीकरण के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं. 

वैश्य समुदाय बिहार ही नहीं बल्कि देश भर में बीजेपी का कोर वोटबैंक माना जाता है. सुशील मोदी का डिप्टी सीएम पद से पत्ता कटने और बीजेपी विधानमंडल दल के अध्यक्ष के पद से हटने के बाद तार किशोर प्रसाद को लाया गया है. तारकिशोर वैश्य समुदाय से आते हैं और सुशील मोदी के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं. सुशील मोदी को हटाए जाने के बाद बीजेपी का कैडर वोटर वैश्य कहीं छिटक ना जाए, इस बात का ध्यान रखते हुए पार्टी ने तारकिशोर प्रसाद को विधानमंडल नेता के तौर पर आगे लाने की रणनीति अपनाई है. 

बिहार चुनाव में इस बार 24 एमएलए वैश्य समुदाय से जीते हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 15 विधायक बीजेपी के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. इसके अलावा तारकिशोर सीमांचल इलाके से आते हैं, जहां वैश्य वोटर ही बीजेपी की राजनीति का आधार है. बीजेपी की सीमांचल की जीत ने ही एनडीए को सत्ता सिंहासन तक पहुंचाने में अहम भूमिका अदा की है. तारकिशोर आरएसएस से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में विभिन्न दायित्वों को निभा चुके हैं. सुशील मोदी के करीबी तारकिशोर डिप्टी सीएम बनते हैं तो नीतीश कुमार के साथ समन्वय में दिक्कत नहीं होगी. 

बीजेपी बिहार में एनडीए में बड़े भाई की भूमिका में आने के बाद अब बिहार में नंबर वन पार्टी बनने की दिशा में कदम बढ़ रही है. बीजेपी की नजर बिहार के अतिपिछड़ा और महिला वोटबैंक पर है. इसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए रेणु देवी को बीजेपी विधायक दल का उपनेता चुना है. अतिपिछड़ा समुदाय के नोनिया जाति से आने वाली रेणु देवी डिप्टी सीएम बनने की प्रबल दावेदारी भी मानी जा रही हैं. बिहार में नोनिया, बिंद, मल्लाह, तुरहा जैसी अतिपिछड़ी जाति को बीजेपी के विचारधारा से जोड़ने में रेणु देवी एक ट्रंप कार्ड के तौर पर हो सकती हैं.

अमित शाह की टीम में वो राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुकीं हैं. चंपारण इलाके में उनका अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है, जो बीजेपी का मजबूत गढ़ है. बिहार में अतिपिछड़ा वोटरों पर जेडीयू की पकड़ मानी जाती है. इसी तरह से शराबबंदी के बाद से महिलाओं के बीच नीतीश की पकड़ अच्छी है. इस चुनाव में एनडीए की जीत में महिलाओं की भूमिका काफी अहम थी, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खुले तौर पर स्वीकार किया और धन्यवाद भी अदा किया. ऐसे में बीजेपी हर हाल में महिलाओं को अपने साथ साधकर रखना चाहती है.

रेणु देवी ने अपना राजनीतिक सफर दुर्गावाहनी से किया और स्वयं सहायता समूह के जरिए महिलाओं के बीच काम करती रही हैं. बीजेपी के महिला मोर्चा संगठन में एक कार्यकर्ता से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक रह चुकी है, जिसके प्रदेश के महिलाओं के बीच भी उनकी अपनी एक मजबूत पहचान है. यही नहीं 90 के दशक में राममंदिर आंदोलन और 1992 में जम्मू कश्मीर तिरंगा यात्रा में शामिल रही हैं. इस तरह से बीजेपी के एजेंडे में भी रेणु देवी फिट बैठती है. ऐसे में उन्हें डिप्टी सीएम बनाकर अतिपिछड़ा और महिलाओं को सियासी संदेश देने का दांव चल सकती हैं. 

वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने आजतक के कार्यक्रम में कहा कि बीजेपी बिहार में 15 साल तक छोटे भाई की भूमिका में रह चुकी है और अब आगे अपने दम पर सत्ता में आना चाहती है. बीजेपी इसीलिए एक नई लीडरशिप अपनी बिहार में खड़ा करना चाहती है, जिसके लिए डिप्टी सीएम की कुर्सी पर ऐसे नेता को बैठाना चाहती है जो बीजेपी के भविष्य की राजनीति को खड़ी कर सके और 2025 में पार्टी को बहुमत दिला सके. नीतीश कुमार सीएम भले ही बन रहे हों, लेकिन पहले जैसी उन्हें आजादी नहीं होगी. नीतीश की कैबिनेट में बीजेपी पूरा दखल होगा और अपने एजेंडो को लागू कराने से पीछे नहीं हटेगी. 

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