बिहार में अक्तूबर-नवंबर महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं। विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त हो रहा है। ऐसे में एनडीए के घटक दलों लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के बीच पिछले कुछ समय से तनातनी दिखाई दे रही थी। हालांकि शनिवार को लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ अनबन की बात को खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा, ‘मुझे एनडीए के चेहरे के तौर पर नीतीश कुमार के नाम से कोई समस्या नहीं है।’ पासवान ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री की काफी आलोचना की थी। जिससे कयास लगाए जा रहे थे कि लोजपा नीतीश के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ेगी।
अब चिराग ने कहा, ‘मैं भाजपा द्वारा चुने गए किसी भी टॉम, डिक या हैरी से सहमत हूं।’ उन्होंने कहा कि सहयोगी दलों को एक सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम पर सहमत होने की आवश्यकता है। जिसमें उनका ‘बिहार फर्स्ट एंड बिहारी फर्स्ट’ अभियान भी शामिल है।
37 साल के पासवान ने कहा कि वे नीतीश कुमार के ‘सात संकल्पों’ की प्रतिबद्धता पर काम करने को तैयार नहीं थे जिसे कि 2015 के चुनाव से पहले घोषित किया गया था। कुछ लोग उनकी इस टिप्पणी को फिलहाल अकेले चुनाव न लड़ने के संकेत के तौर पर देख रहे हैं। वहीं बहुत से लोगों का मानना है कि वे भाजपा के साथ अपने संबंधों को खतरे में नहीं डालना चाहते।
चिराग पासवान के पिता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने बाढ़ प्रबंधन से लेकर कोरोना वायरस महामारी और यहां तक की सुशांत सिंह राजपूत मामले को लेकर नीतीश कुमार पर निशाना साधा था। उन्होंने कोविड-19 के मद्देनजर राज्य में चुनाव न कराने की विपक्ष की मांग का समर्थन किया था। हालांकि वे भाजपा पर हमला करने से बचते हैं।
वहीं चिराग पासवान ने जून में पार्टी की बैठक में साफतौर पर अपने मुख्यमंत्री बनने की महत्वकांक्षा को जाहिर करते हुए कहा था, ‘मैं एक दिन मुख्यमंत्री बनना चाहता हूं।’ रामविलास ने बेटे का साथ देते हुए कहा है कि वे चिराग के हर फैसले का समर्थन करते हैं। लोजपा ने चिराग पासवान को विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार और जदयू से अलग होने पर फैसला करने के लिए अधिकृत किया है।