2020 बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) के नतीजे आ चुके हैं। 243 सीटों वाली विधानसभा में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को 125 सीटें मिली हैं। जबकि, विपक्षी महागठबंधन (Mahagathbandhan) के पाले में 110 सीटें गईं हैं। इस चुनाव में कई नेताओं को अपने मंसूबों में कामयाबी मिली तो कइयों को निराशा हाथ लगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) का फिर मुख्यमंत्री बनना तय हो गया। एआइएमआइएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) सीमांचल में अपनी पैठ बनाने में कामयाब रहे तो मायावती (Mayawati) के पार्टी की बिहार विधानसभा में एंट्री हुई। उधर, चिराग पासवान (Chirag Paswan) एनडीए में नीतीश कुमार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) का छोटा भाई बनाने में कामयाब रहे। कामयाब नेताओं में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) सुप्रीमो जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) भी शामिल हैं। कुछ को निराशा भी हाथ लगी।आइए नजर डालते हैं चुनाव पर अपना प्रभाव छोड़ने वाले ऐसे ही कुछ नेताओं पर।
सीमांचल में ओवैसी ने बनाई जगह, मायावती की भी एंट्री
हैदाराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम ने बिहार में पांच सीटें झटक कर बड़ी कामयाबी हासिल की। मुसलमानों की बड़ी आबादी वाले सीमांचल में यह ओवैसी की बड़ी पैठ है। बिहार में एआइएमआइएम के साथ ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्यूलर फ्रंट में शामिल बहुजन समाज पार्टी ने भी एक सीट जीत कर बिहार में अपनी एंट्री की। यह बीएसपी सुप्रीमो मायावती की सफलता रही।
नीतीश को बीजेपी का छोटा भाई बनाने में सफल रहे चिराग
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नेतृत्व अस्वीकार करते हुए एनडीए से किनारा करने वाले लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने नीतीश कुमार करने कमजाेर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। साथ ही वे भारतीय जनता पार्टी के समर्थन की बात करते रहे। उन्होंने जेडीयू उम्मीदवारों के चुनाव क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतार उनके वोट काटे। इस कारण जेडीयू को बीजेपी से कम सीटें मिलीं। एनडीए में जेडीयू को बड़ा भाई से छोटा भाई बनाने के मकसद में चिराग कामयाब रहे। हालांकि, उनकी पार्टी केवल एक सीट ही जीत सकी।
शरद यादव व उपेंद्र कुशवाहा को मिली निराशा
रिंग के बाहर रह अपने खिलाडि़यों के माध्यम से खेल को कंट्रोल करने वाले नेताओं में कुछ को नाकामयबी भी हाथ लगी। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) तथा समाजवाद के स्तंभ शरद यादव (Sharad Yadav) इस चुनाव में नाकामयाब नेतााअें में शामिल रहे। शरद यादव की बेटी सुभाषिणी मधेपुरा के बिहारीगंज से आरजेडी के टिकट पर चुनाव हार गईं।
चुनाव में हार गए कई मंत्री
बिहार चुनाव के मैदान में कूदे कुछ बड़े चेहरों की हार भी चर्चा में रही। इनमें राज्य सरकार में मंत्री पद पर बैठे कई नेता भी शामिल हैं। नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा, विज्ञान एवं प्रावैधिकी मंत्री जय कुमार सिंह, परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला, शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, खान एवं भू-तत्व मंत्री ब्रजकिशोर बिंद, समाज कल्याण मंत्री रामसेवक सिंह और ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार के नाम हारे हुए लोगों की सूची में शामिल हो गए हैं।
बिहार की राजनीति में प्लूरल्स पार्टी की संस्थापक पुष्पम प्रिया चौधरी का नाम पिछले कई महीनों से लिया जा रहा था। पुष्पम ने खुद दो सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं। महागठबंधन से बगावत कर भाजपा के साथ रिश्ते बनाने वाले मुकेश सहनी अपने चार प्रत्याशियों को तो जीत दिलाने में जरूर सफल रहे, लेकिन वे खुद का चुनाव हार गए। नौ बार कहलगांव का प्रतिनिधित्व करने वाले सदानंद सिंह और वजीरगंज से चुनाव जीतने वाले अवधेश कुमार सिंह ने इस बार खुद के बदले अपने बेटों के लिए कांग्रेस का टिकट तो जरूर हासिल किया, लेकिन पर ये दोनों कद्दावर कांग्रेसी अपने बेटों को सदन तक पहुंचाने में नाकाम रहे।