झारखंड में बीजेपी को पैरा टीचर्स पर लाठीचार्ज करना और उन्हें नियुक्ति न देना विधानसभा चुनाव में भारी ही नहीं पड़ा बल्कि सत्ता भी गंवानी पड़ी. झारखंड में बीजेपी की हार से सबक लेते हुए बिहार के नीतीश कुमार ने चुनावों से ठीक पहले बड़ा सियासी दांव खेला है. नीतीश ने मंगलवार को कैबिनेट मीटिंग में नियोजित शिक्षकों की मांगों को मान लिया है, नियोजित शिक्षकों को वेतन में सीधे 22 फीसदी की बढ़ोत्तरी के अलावा कई लाभ देने का फैसला किया गया है.
नीतीश सरकार ने नियोजित शिक्षकों के मूल वेतन में 15 फीसदी की बढ़ोतरी की है, लेकिन ईपीएफ मिलाकर 22 फीसदी वेतना बढ़ जाएगा. अब नियोजित टीचरों को 15 दिन की पैटरनिटी छुट्टी भी मिल सकेगी. 7 साल की जगह अब 3 साल की नौकरी पर ही पैटरनिटी छुट्टी मिलने लगी. इसके अलावा मैटरनिटी लीव यानी मातृत्व अवकाश 135 दिन से बढ़ाकर 180 दिन कर दिया गया है. इतना ही नहीं स्थानान्तरण, प्रमोशन समेत अन्य तरह की सुविधाओं का भी लाभ मिलेगा. इसके अलावा अब बिहार के नियोजित शिक्षक मनचाही जगह ट्रांसफर ले सकेंगे. अप्रैल, 2021 से नई नियमावली प्रभावी होगी और तभी से शिक्षकों का बढ़ा हुआ वेतन मिलना शुरू होगा.
बता दें कि बिहार में नियोजित शिक्षक काफी लंबे अरसे से अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. शिक्षक की नाराजगी चुनाव में मंहगी पड़े उससे पहले ही नीतीश कुमार ने उनकी मांगों को अमलीजामा पहनाकर सारे समीकरण अपने पक्ष में कर लिया है. बिहार में करीब पौने चार लाख नियोजित शिक्षक हैं, जो किसी भी राजनीतिक पार्टी का समीकरण बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं.
बिहार के स्कूलों में तैनात नियोजित शिक्षक, काम के आधार पर शिक्षकों जितना वेतन की मांग बीते दस सालों से कर रहे हैं. बिहार में 2003 से सरकारी स्कूलों में शिक्षा मित्र रखे जाने का फैसला किया गया था, उस वक्त दसवीं और बारहवीं में प्राप्त अंकों के आधार पर इन शिक्षकों को 11 महीने के अनुबंध पर रखा गया था. इन्हें मासिक 1500 रुपये का वेतन दिया जा रहा था. फिर धीरे धीरे उनका अनुबंध भी बढ़ता रहा और उनकी आमदनी भी बढ़ती रही.
2006 में इन शिक्षा मित्रों को नियोजित शिक्षक के तौर पर मान्यता मिली. मौजूदा समय में इन नियोजित शिक्षकों में प्राइमरी टीचरों को 22 हजार से 25 हजार रुपये प्रतिमाह मिलते हैं, वहीं माध्यमिक शिक्षकों को 22 से 29 हजार रुपये मिलते हैं, हाई स्कूलों के ऐसे शिक्षकों को 22 से 30 हजार रुपये मिलते हैं. इन शिक्षकों के वेतन विलंब एक बड़ी समस्या रही है.
नियोजित शिक्षकों के वेतन में विलंब की समस्या पूर्व में रही है. इस समस्या को दूर करने के लिए भी सरकार उपाय कर रही है. उत्क्रमित उच्च विद्यालय और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा के तहत नियोजित शिक्षकों को समय पर वेतन देने के लिए बजट में प्रावधान होंगे. साथ ही यदि स्टेट बैंक जिसके माध्यम से 20 जिलों में शिक्षकों के वेतन का भुगतान होता है वह अनुमति देगा तो सभी जिलों में यह व्यवस्था लागू कर दी जाएगी.
बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए नीतीश कुमार किसी तरह की कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं. यही वजह है कि उन्होंने पौने चार लाख शिक्षकों की मांग को मानकर बड़ा सियासी दांव चला है. एक शिक्षक के परिवार में चार सदस्य के वोट मानकर चलें तो करीब 13 लाख मतदाता को साधने की रणनीति नीतीश कुमार ने बनाई है. विपक्ष इसे एक बड़ा मुद्दा बनाने में जुटा हुआ था. तेजस्वी यादव नियोजित शिक्षकों की मांग को लेकर नीतीश सरकार को घेरने में जुटे थे, लेकिन सीएम ने ऐसा मास्टर स्ट्रोक चला है, जिससे विपक्ष पस्त हो गया है.