हिंदुस्तानी अवामा मार्चा (HAM) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने महागठबंधन (Grand Alliance) से अलग राह पकड़ने का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में गुरुवार को यह फैसला किया गया। महागठबंधन (Mahagathbandhan) में समन्वय समति (Coordination Committee) बनाने तथा उसके माध्यम से सभी बड़े फैसले लेने की उनकी मांग को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) कोई तवज्जो नहीं दे रहा था। इसे देखते हुए मांझी ने 20 अगस्त को फैसला लेने का ऐलान किया था। मांझी ने कहा कि आगे वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के साथ जाएंगे या क्या करेंगे, इसकी घोषणा दो-तीन दिनों में कर देंगे। आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए मांझी का यह फैसला बेहद अहम है।
समन्वय समिति नहीं बनने से नाराज थे मांझी
गौरतलब हो कि जीतनराम मांझी महागठबंधन में एक समन्वय समिति चाहते थे। वे चाहते थे कि यही समिति सीट शेयरिंग से लेकर मुख्यमंत्री प्रत्याशी तक के सभी बड़े फैसले करे। लेकिन आरजेडी खुद को महागठबंधन का नेता और अपने नेता तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री प्रत्याशी बताता रहा। महागठबंधन में लंबे समय से ठंडे बस्ते में पड़ी समन्वय समिति की मांग को लेकर जीतनराम मांझी दिल्ली भी गए। वहां उनकी मुलाकात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी से नहीं हो सकी, लेकिन वे कांग्रेस आलाकमान तक अपनी बात चहुंचा चुके थे। इसके बावजूद कोई फैसला नहीं हो सका और धीरे-धीरे विधानसभा चुनाव भी नजदीक आता जा रहा है। इससे मांझी नाराज थे।
जेडीयू में विलय या एनडीए में वापसी की संभावना
पार्टी की कोर कमेटी ने मांझी को आगे की रणनीति तय करने के लिए अधिकृत किया है। अब दो-तीन दिनों में वे नए रिश्तों के संबंध में ऐलान करेंगे। माना जा रहा है कि मांझी अपनी पार्टी का जनता दल यूनाइटेड (JDU) के साथ विलय कर सकते हैं। हालांकि, पार्टी ने इसका कोई संकेत नहीं दिया है। मांझी एनडीए वापसी भी कर सकते हैं। वैसे, उन्होंने कहा है कि दलितों के आरक्षण, प्रोन्नति में आरक्षण, समान शिक्षा, दलित उत्पीड़न एक्ट को संविधान की नौवीं सूची अनुसूची में लाने के उनके संघर्ष में जो उनका साथ देंगे, वैसे ही लोगों के साथ रहना वे पसंद करेंगे।