उत्तर प्रदेश में बिजली के दाम बढ़ाने के लिए UPPCL (उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड) ने नियामक आयोग को प्रस्ताव भेजा है. लिहाजा, प्रदेश में बिजली महंगी हो सकती है. इसको लेकर यूपी के उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि घर-घर तक बिजली पहुंचाना हमारा मकसद और कर्तव्य है. पूर्ववर्ती अखिलेश और मायावती सरकार में इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाये गए. कीमत में बढ़ोतरी को लेकर उन्होंने कहा कि यह मामला फिलहाल नियामक आयोग के सामने विचाराधीन है जिसपर उचित फैसला लिया जाएगा.
वर्तमान में शहरी क्षेत्रों में घरेलू कनेक्शन के लिए बिजली दरें 4.90 से 6.50 रुपए प्रति यूनिट है जिसे अब 6.20 से 7.50 रुपए तक करने का प्रस्ताव आयोग में सौंपा गया है. कमर्शियल बिजली की दरें भी 8.85 रुपए प्रति यूनिट तक करने के साथ ही फिक्स्ड चार्ज को बढ़ाने का प्रस्ताव है. फिलहाल महीने की कुल बिजली खपत में से शुरुआती 150 यूनिट्स का दाम 4.90 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से लगाया जाता है. UPPCL ने इसे 26 फीसदी बढ़ाकर 6.20 रुपए प्रति यूनिट करने का प्रस्ताव रखा है. बता दें, चुनाव के मद्देनजर पिछले डेढ़ सालों में बिजली की दरें नहीं बढ़ाई गई हैं.
इसके अलावा यूपी कैबिनेट की बैठक में 6 महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए हैं. सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने कहा कि,
1. जनपद गोरखपुर में प्राणी उद्यान की स्थापना हेतु प्रस्ताव पास हुआ है. इसकी अनुमानित लागत 181.82 करोड़ रुपये प्रस्तावित है. उद्यान का नाम अशफाकउल्ला प्राणी उद्यान है.
2. पूरे प्रदेश में वृक्षारोपण होना है जिसके लिए मुफ्त में पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे. 15 अगस्त को वृक्षारोपण अभियान चलाया जाएगा जिसमें 22 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है.
3. आगामी मॉनसून सत्र 18 जुलाई 2019 को प्रस्तावित है. पिछला विधानसभा सत्र 28 फरवरी 2019 को सत्रावसान कर दिया गया था.
उत्तर प्रदेश सरकार के दूसरे प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा,
4. महंत अवैद्यनाथ महाविद्यालय के अंतर्गत कार्य होने हैं, जिसके लिए 30.34 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है.
5. सरकार ने अम्ब्रेला एक्ट बनाया है. आपको बता दें कि प्रदेश में 27 महाविद्यालय चलाया जा रहा है जो विभिन्न एक्ट के तहत चल रहा है. सभी को एक एक्ट के अंर्तगत लाया जाएगा.
6. कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा अधिकरण की स्थापना की जाएगी. इसमें शिक्षा से जुड़े विवादों को सुलझाया जाएगा. इसके लिए एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत कई सदस्य चुने जाएंगे. शिक्षा संबंधी विवाद को सुलझाने के लिए कोर्ट जाने की जरूरत नहीं होगी.