बिजनौर कोर्ट में हत्या को लेकर जोरदार हंगामा विपक्ष ने की मांग

उत्तर प्रदेश में कनून व्यवस्था, महिलाओं के खिलाफ अपराध और नागरिकता संशोधन कानून पर सत्ता पक्ष को विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन भी विपक्ष ने घेरते हुए जोरदार हंगामा किया। विधनमंडल के दोनों सदनों कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के सदस्यों खासकर सपा और कांग्रेस ने प्रदेश में कानून व्यवस्था का मुद्दा खासकर बिजनौर कोर्ट में हत्या का मामला उठाया। हंगामा बढ़ा तो विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही करीब एक घंटे के लिए स्थगित कर दी। विधान परिषद में भी कार्यवाही बाधित रही।

बुधवार को सुबह 11 बजे विधानसभा मंडप में जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई सपा, बसपा और कांग्रेस के सदस्यों ने खड़े होकर हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस सदस्य काली पट्टी व स्लोगन लिखकर सदन में पहुंचे और प्रदेश की खराब कानून व्यवस्था का विरोध किया। सपा और कांग्रेस ने बिजनौर हत्याकांड का सवाल उठाया और बहस की मांग करने लगे। काफी संख्या में सदस्य वेल में पहुंच गए और कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर चर्चा की मांग विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित से करने लगे। इस मांग को स्पीकर ने खारिज कर दिया तो सपा और कांग्रेस के सदस्यों ने कानून व्यवस्था को लेकर हंगामा करने लगे

मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या ने हंगामा कर रहे सदस्यों को खूब समझाने की कोशिश की, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी। सपा नेता राम गोविंद चौधरी ने कहा कि जब न्यायालय ही सुरक्षित नहीं तो न्याय कहां मिलेगा। उन्नाव में जैसी घटना हुई। उससे पता चलता है कि कानून खत्म हो गया है। जब भाजपा के लोग ही दुष्कर्म और हत्या की वारदात में शामिल हैं तो क्या होगा। देश में पर्यटक नहीं आ रहे हैं, क्योंकि माहौल बन गया है कि यूपी में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। सरकार पंगु हो गई है।

विपक्ष के हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित को सदन की कार्यवाही को पहले साढ़े ग्यारह बजे तक और फिर करीब बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। इसके बाद उन्होंने सभी दलों के नेताओं को अपने कक्ष में बुलाया और चर्चा की। तब जाकर प्रश्नकाल शुरू हो सका। इसके बाद निधन के निर्देश जारी किये गए।

गाजियाबाद की लोनी विधानसभा सीट से भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर ने विधनसभा में मंगलवार की घटना को लेकर खेद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मेरी मंशा किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था। मैं सिर्फ अधिकारियों द्वारा जनप्रतिनिधियों के उत्पीड़न के मुद्दे को उठाना चाह रहा था, लेकिन मुझे मौका नहीं मिला। उम्मीद है कि मुझे न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा कि अधिकारी जानबूझकर जनप्रतिनिधियों का उत्पीड़न कर रहे हैं। ये अधिकारी पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। हमने कभी एक रुपया कमीशन नहीं लिया, लेकिन हमारे यहां अफसर 18 से 22 प्रतिशत कमीशन ले रहे हैं। यहां तक कि विधायक निधि में भी कमीशन की मांग की जाती है। विधायक ने कहा कि एक अफसर कह रहे थे कि अधिकारी कहते हैं कि बीजेपी सरकार में चार प्रतिशत कमीशन कम लिया जाता है।

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