धर्मधरा उज्जयिनी में राजाधिराज भगवान श्री महाकालेश्वर अपने भक्तों को विभिन्न रूपों में दर्शन देते हैं। यहां अनादिकाल से महाकाल के श्रंगार की अनूठी परंपरा रही है। यह कार्य कुशल कारीगर नहीं। बल्कि राजा के सेवक पुजारी वंशानुसार करते आ रहे हैं।
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बाबा महाकाल का अर्धनारीश्वर रूप
भात-भांग से बाबा महाकाल का विशेष श्रंगार
चंदन और चांदी से बाबा महाकाल के श्रंगार में इस तरह आया तेज
गणेश चतुर्थी पर पुत्र गजानन के रूप में भक्तों को अनुग्रहित करते बाबा महाकाल
श्रावण मास में संध्या आरती में भगवान का भांग से मनमोहक श्रंगार किया जाता है। उसी दौरान हनुमान जी के रूप में बाबा महाकाल
कृष्ण जन्माष्टमी पर राजा कृष्ण रूप धर लेते हैं।
सूखे मेवे, भांग सहित मावे के श्रंगार से महाकाल का राजाधिराज रूप
शक्ति और शिव का अद्भुत रूप
त्रिनेत्र श्रंगार में महाकाल, पं विजय पुजारी के अनुसार महाकाल मंदिर में इस समय पुजारियों की तीसरी पीढ़ी भगवान महाकाल का श्रंगार कर रही है।
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