रेल मंत्रालय यात्रियों को आकर्षित करने के लिए शताब्दी ट्रेनों का किराया कम करने की योजना बना रहा है. रेलवे नहीं चाहता है कि कम दूरी के यात्री ट्रेन छोड़कर सड़क के रास्ते यात्रा करें और उसे नुकसान उठाना पड़े. कुछ ऐसे खण्ड के शताब्दी ट्रेनों के किराए में जल्द कमी लाई जा सकती है, जिनमें यात्रियों की संख्या काफी कम है. रेलवे का लक्ष्य इसके जरिए संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल करना है. सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 25 AC शताब्दी ट्रेनों को चिह्नित किया गया है, जिनमें इस योजना को लागू किया जा सकता है. एक अधिकारी ने‘ पीटीआई- भाषा’ को बताया, ‘‘भारतीय रेलवे इससे जुड़े प्रस्ताव पर सक्रियता से काम कर रहा है.’’
आय में हुआ 17 फीसदी का इजाफा
अधिकारी ने बताया कि पिछले साल दो मार्गों पर इस योजना को प्रायोगिक तौर पर शुरू किया गया था, जिसकी सफलता से इस पहल को काफी बल मिला है. उन्होंने बताया कि प्रायोगिक तौर पर जिन दो खण्डों में इसे लागू किया गया है, उनमें से एक में आय में 17 फीसदी का इजाफा हुआ है और 63 प्रतिशत अधिक यात्रियों ने बुकिंग कराई है.
फ्लेक्सी फेयर की आलोचना
इस कदम पर ऐसे समय में विचार किया जा रहा है जब‘ फ्लेक्सी- फेयर’ की योजना को लेकर रेलवे आलोचना का सामना कर रहा है. इसको लेकर लोगों में यह धारण बनी है कि इससे शताब्दी, राजधानी और दुरंतो जैसी ट्रेनों के किरायों में वृद्धि हुई है. रेलवे 45 शताब्दी ट्रेनों का परिचालन करती है और ये देश की सबसे द्रुत गति की ट्रेनों में से हैं.
क्यों लिया जा सकता है फैसला
ऐसा देखा गया है कि शताब्दी ट्रेनों के रूटों पर पड़ने वाले ऐसे स्टेशनों पर यात्रियों की आवाजाही बहुत कम होती है, जहां से ट्रेन नहीं खुलती है या उसका सफर खत्म नहीं होता. ऐसी जगहों पर लोग ट्रेनों की बजाय एसी बसों से यात्रा करना पसंद करते हैं. बीच के इन स्टेशनों के लिए बस का कम किराया यात्रियों को आकर्षित करता है.
AC बसों से ज्यादा शताब्दी का किराया
रेलवे के मुताबिक, एसी बसें का किराया शताब्दी से काफी कम है. जिसकी वजह से यात्री सड़क से जाना पसंद करते हैं. इस वजह से छोटी दूरी के महज 30 प्रतिशत यात्री ही ट्रेनों से सफर करते हैं. इसके मद्देनजर रेलवे किराया घटाने पर विचार कर रहा है.
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