बाजरे की खपत और खेती को बढ़ावा देने के लिए नेपाल आया भारत के साथ , संयुक्त राष्ट्र ने शुरू किया अभियान

नेपाल बाजरे की खेती और खपत को बढ़ावा देने के लिए भारत के साथ सहयोग करने के लिए तैयार ही। इस बात की जानकारी कृषि और पशुपालन मंत्री बेदुराम भुशाल ने दी है। एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए बेदुराम भुशाल ने बाजरा अभियान में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए भारत को बधाई दी है और इस अन्न का नाम बदलकर इसे श्रीअन्न कर दिया। भुसाल ने बाजरे को एक मूल भोजन के रूप में दर्शाते हुए इसके उच्च पोषण मूल्यों का वर्णन किया।

भारत के साथ संयुक्त राष्ट्र ने भी बाजरा की खपत को बढ़ावा देने के लिए अभियान शुरू किया है। नेपाल के कृषि मंत्री ने बताया कि इस अभियान में नेपाल नई दिल्ली के साथ हाथ मिलाने के लिए तत्पर है। साल 2021 में भारत ने यूएन में 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित करने का प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव का 72 देशों ने समर्थन किया, जिसके बाद यूएन ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित कर दिया।

काठमांडू में भारतीय दूतावास ने नेपाल के कृषि और पशुपालन मंत्रालय के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023 के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में नेपाल में भारतीय राजदूत नवीन श्रीवास्तव ने बाजरा उत्पादन के क्षेत्र में भारत और नेपाल के सहयोग के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘बाजरा जलवायु परिवर्तन और विश्व खाद्य सुरक्षा जैसी चुनौतियों समाधान है।’

खाद्य विशेषज्ञों ने भी बाजरे के महत्व को बताते हुए इसके उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया। बाजरा मानव जाति द्वारा खेती की जाने वाली सबसे पुरानी फसलों में से एक है। मौजूदा समय में बाजार में बाजरे के विभिन्न प्रकार मौजूद है, जिसमें कोदो, फॉक्सटेल, ब्राउनटॉप, छोटा बाजरा और पोरसो प्रमुख है।

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