बाघ के आतंक से परेशान ग्रामीणों ने कॉर्बेट पार्क बंद करने की दी धमकी

नैनीतालः उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) से सटे गांवों में बाघ के आतंक से परेशान ग्रामीणों ने सरकार और कॉर्बेट पार्क प्रशासन को तीन दिन की मोहलत देते हुए कहा कि आदमखोर बाघ को जिंदा या मुर्दा पकड़े अन्यथा ग्रामीण कॉर्बेट पार्क में पर्यटन गतिविधियों को ठप करने के लिए बाध्य होंगे।

दरअसल, कॉर्बेट पार्क से सटे गांवों में पिछले तीन महीने से भी अधिक समय से आमदखोर बाघ का आतंक पसरा है। यहां आदमखोर कई लोगों को अपना शिकार बना चुका है। शनिवार को भी सीटीआर के ढेला रेंज में जंगल में लकड़ी बीन रही कला देवी को भी बाघ ने दिनदहाड़े अपना निवाला बना दिया था। इससे पहले भी कई लोगों को आदमखोर अपना शिकार बना चुका है। ग्रामीणों को बाघ के आतंक से निजात दिलाने के लिए संयुक्त संघर्ष समिति पिछले तीन महीने से आंदोलनरत है। संघर्ष समिति के बैनर तले प्रभावित गांवों के ग्रामीण और संगठनों के पदाधिकारी कानिया गांव में एकत्र हुए और उन्होंने सरकार और सीटीआर प्रशासन के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया।

वहीं संघर्ष समिति के ललित उप्रेती ने कहा कि आदमखोर कि आदमखोर बाघ पिछले 3 महीने से कई लोगों को शिकार बना चुका है। संघर्ष समिति बाघ को जिंदा या मुर्दा पकड़ने की मांग कर रही है लेकिन सरकार और सीटीआर प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है। उन्होंने कहा कि बाघ के आतंक के चलते सीटीआर से सटे गांवों में आम जनजीवन प्रभावित हुआ है। इस मौके पर भारी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। उन्होंने सरकार और सीटीआर प्रशासन को चेतावनी दी कि 3 दिन के अंदर आदमखोर बाघ को जिंदा या मुर्दा पकड़ें अन्यथा ग्रामीण कॉर्बेट पार्क को बंद करने को मजबूर होंगे।

इस मौके पर अन्य वक्ताओं ने सरकार से वन कानूनों में संशोधन की मांग की। वक्ताओं ने कहा कि सीटीआर और उत्तराखंड के जंगलों में बाघ और जंगली जानवरों की संख्या में काफी इजाफा हो गया है। इसलिए जनहित में वन कानूनों की समीक्षा किया जाए।

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