सिक्कों, मृदभांड की जांच के बाद इस बात को बल मिल रहा है कि गांव के 100 बीघा परिक्षेत्र में फैले टीलों पर कुषाण कालीन समेत अन्य मानव सभ्यता मौजूद रही होंगी। बड़ौत क्षेत्र के गांव खपराना के प्राचीन टीले पर सर्वेक्षण में ऊपरी सतह पर प्राचीन सभ्यता के मृदभांड के अलावा 1800-2000 वर्ष पुरानी ताम्र मुद्राएं भी प्राप्त हुई है। प्रारंभिक सर्वेक्षण के दौरान प्राप्त दुर्लभ मुद्राओं, पुरावशेषों के संबंध में एक रिपोर्ट तैयार कर ली गई है, जिसे शहजाद राय शोध संस्थान बड़ौत के निदेशक अमित राय जैन द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण नई दिल्ली को भेजा जाएगा।
बरनावा लाक्षागृह से लगभग छह किलोमीटर दूरी पर स्थित खपराना गांव में 100 बीघा से भी अधिक परिक्षेत्र में प्राचीन टीले मौजूद हैं। इन टीलों पर प्राचीन सभ्यता के प्रमाण ऊपरी सतह पर ही बिखरे हुए पड़े हैं। शुक्रवार को शहजाद राय शोध संस्थान बड़ौत के निदेशक अमित राय जैन द्वारा इस टीले का प्रारंभिक सर्वेक्षण किया।
इस सर्वेक्षण के दौरान उन्हें यहां से खंडित मृदभांड के रूप में महिलाओं द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले कर्णाभूषण, होपस्कॉच, झावा (पैर साफ करने के लिए), बच्चों के खेल-खिलौने, खाद्य सामग्री रखने वाले पात्रों के अलावा बेहद महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में ताम्र मुद्राएं भी प्राप्त हुई। ये मुद्राएं मिट्टी की एक छोटी लुटिया में मौजूद थे। इस लुटिया में दो दर्जन से अधिक सिक्के मौजूद थे। मिट्टी से बनी यह लुटिया भी ऊपरी किनारे से थोड़ी खंडित थी। मिट्टी में अधिक समय तक दबे रहने के कारण सिक्के अधिक स्पष्ट नहीं थे।
इन सिक्कों और अन्य प्राप्त पुरावशेषों को लेकर अमित राय जैन शहजाद राय शोध संस्थान बड़ौत आ पहुंचे। यहां पर प्राप्त पुरा सामग्री का गहनता से अध्ययन किया गया। उन्होंने बताया कि प्राप्त पुरा सामग्री की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर एएसआई, जिलाधिकारी को भेजी जाएगी। साथ ही वे एएसआई से मांग करेंगे कि खपराना गांव में विस्तृत रूप से फैले टीलों पर जल्द से जल्द उत्खनन कार्य कराया जाए ताकि यहां की धरती में दफन प्राचीन सभ्यता को दुनिया के सामने लाया जा सके।
विधायक को’अल्लाह’ ने दी धमकी, दो इतने करोड़ नहीं तो जाओगे मारे
सिक्कों की खासियत
इन मुद्राओं और मृदभांड के बारे में गहराई के साथ निरीक्षण किए जाने के बाद निदेशक अमित राय जैन ने बताया कि से प्राचीन सिक्के कुषाण कालीन शासक वासुदेव द्वारा 200-225 एडी (1800-2000 वर्ष) पहले अपनी विनिमय मुद्राओं के रूप में जारी किए गए थे। उन्होंने बताया कि इन मुद्राओं पर अत्यधिक रूप से ग्रीन पैटीना चढ़ा हुआ है जिस कारण अधिकांश सिक्कों पर अंकित चित्र, भाषा स्पष्ट नहीं हैं। 7-8 ग्राम वजनी सिक्का 23 मिमी का है। सिक्के के एक ओर स्वयं राजा वासुदेव खडी मुद्रा में सर पर मुकुट पहने हैं। उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ से यज्ञ वेदी में आहूति डालते हुए हैं। वहीं सिक्के के दूसरी ओर भगवान शिव डमरू व त्रिशूल के साथ अपने वाहन नंदी के साथ खडे हुए हैं।