माघ शुक्ल की पंचमी तिथि को विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की उपासना की जाती है. इसी उपासना के पर्व को बसंत पंचमी कहते हैं. वर्ष के कुछ विशेष शुभ काल में से एक होने के कारण इसको अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है.

इसमें विवाह, निर्माण तथा अन्य शुभ कार्य किये जा सकते हैं. ऋतुओं के इस संधि काल में ज्ञान और विज्ञान दोनों का वरदान प्राप्त किया जा सकता है.
इसके अलावा संगीत, कला और आध्यात्म का आशीर्वाद भी इस काल में लिया जा सकता है. अगर कुंडली में विद्या बुद्धि का योग नहीं है या शिक्षा की बाधा का योग है तो इस दिन विशेष पूजा करके उसको ठीक किया जा सकता है. देश भर में आज यानी 30 जनवरी को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है.
– आज के दिन पीले, बसंती या सफेद वस्त्र धारण करें, काले या लाल वस्त्र नहीं.
– तत्पश्चात पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा की शुरुआत करें.
– सूर्योदय के बाद ढाई घंटे या सूर्यास्त के बाद के ढाई घंटे का प्रयोग इस कार्य के लिए करें.
– मां सरस्वती को श्वेत चन्दन और पीले तथा सफ़ेद पुष्प अवश्य अर्पित करें.
– प्रसाद में मिसरी,दही और लावा समर्पित करें.
– केसर मिश्रित खीर अर्पित करना सर्वोत्तम होगा.
मां सरस्वती के मूल मंत्र “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” का जाप करें.
– जाप के बाद प्रसाद ग्रहण करें.
– मां सरस्वती के समक्ष अगर नील सरस्वती स्तोत्र का पाठ किया जाय तो मूर्ख से मूर्ख व्यक्ति भी बुद्धिमान हो जाता है.
– जिन लोगों को एकाग्रता की समस्या हो ,आज से नित्य प्रातः सरस्वती वंदना का पाठ करें.
– मां सरस्वती के चित्र की स्थापना करें ,इसकी स्थापना पढ़ने के स्थान पर करना श्रेष्ठ होगा.
– मां सरस्वती का बीज मंत्र भी लिखकर टांग सकते हैं.
– जिन लोगों को सुनने या बोलने की समस्या है वो लोग सोने या पीतल के चौकोर टुकड़े पर माँ सरस्वती के बीज मंत्र “ऐं” को लिखकर धारण कर सकते हैं.
– अगर संगीत या वाणी से लाभ लेना है तो केसर अभिमंत्रित करके जीभ पर “ऐं” लिखवायें,किसी धार्मिक व्यक्ति या माता से लिखवाना अच्छा होगा.
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