बदला लेने के लिए अपनाएं ये चाणक्य नीतियां, कभी नहीं होगी फ़ेल

चाणक्य की नीतियां आज के समय में ज्यादातर लोग पढ़ना पसंद करते हैं। क्योंकि इनकी नीतियों में बड़े ही सरल तरीके से जीवन की परेशानियों का समाधान बताया गया है। ये चाणक्य की नीतियां ही थीं जिसके दम पर उन्होंने नंदवंश का नाश कर मौर्यवंश की स्थापना की। कहा जाता है कि चाणक्य का एक बार नंदवंश के राजा धनानंद ने अपमान कर दिया था लेकिन चाणक्य ने अपने गुस्से को किसी के सामने प्रकट नहीं होने दिया।
बल्कि गुस्से की अग्नि को अपना हथियार बनाकर चाणक्य ने अपने सभी शत्रुओं का विनाश कर दिया। लेकिन वो दौर था राजा महाराजाओं का जब हर राजा अपनी सत्ता स्थापित करने के लिए एक दूसरे पर आक्रमण करते रहते थे। लेकिन आज के समय अपमान का बदला लेने के लिए चाणक्य की नीतियां कैसे काम आ सकती हैं जानिए…

1. चाणक्य कहते हैं अगर कोई शत्रु आप से ज्यादा शक्तिशाली है तो उसे उसके अनुकूल चलकर, दुष्ट प्रभाव वाले को उसके विरूद्ध चलकर, समान बल वाले शत्रु को विनय और बल से नीचा दिखाया जा सकता है। इसलिए अगर आपका कोई अपमान करें तो उसे इस नीति के आधार पर जवाब दें।

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2. चाणक्य कहते हैं कि अगर कोई अपमान करे तो उस समय शांत रहें। उसे उसकी भाषा में जवाब देने की बजाय उसकी तरफ देखकर थोड़ा मुस्करा दें इससे सामने वाला खुद को ही अपमानित महसूस करने लगेगा। शास्त्रों में भी मौन को सबसे बड़ा हथियार माना गया है। इससे सामने वाला आपके मन में क्या चल रहा है ये जान ही नहीं पायेगा।

3. चाणक्य ने कहा है कि अच्छा और समझदार इंसान कभी दूसरों का अपमान नहीं करता। जिन लोगों को दूसरो का अपमान करना अच्छा लगता है ऐसा व्यक्ति कभी जीवन में सफल नहीं हो सकता है।

4. चाणक्य अनुसार शत्रु को पराजित करने के लिए सबसे अच्छा मार्ग है कि पहले उसे अपनी कूटनीति में फसाएं यानी की उसकी शक्तियों या सहयोगियों को उससे दूर करें। जब शत्रु कमजोर हो जाये तब उस पर भरपूर प्रहार करें।

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