बजट पेश करते समय इंदिरा गांधी ने क्यों मांगी थी माफी जाने ये…सच्चाई

28 फरवरी 1970 का दिन था। इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री होने के साथ साथ वित्त मंत्री का कार्यभार भी संभाल रही थीं, इसलिए उन्होंने केंद्रीय बजट पेश किया। इंदिरा गांधी के मिजाज, खासतौर पर उनके सख्त लहजे से सभी वाकिफ थे। अपने बजट भाषण में ताकतवर इंदिरा ने जब कहा, मुझे माफ कीजिएगा। यह सुनकर लोकसभा के अधिकांश सदस्य भी हैरान रह गए। वे सोचने लगे कि अब ऐसा क्या आने वाला है, जिससे पहले इंदिरा गांधी ने माफी देने की बात कह दी।

लेकिन जब इंदिरा गांधी ने अगला वाक्य बोला तो सभी का शक दूर गया। उन्हें अपने सवाल का जवाब मिल गया। दरअसल, इंदिरा को राजस्व बढ़ाना था, इसलिए उन्होंने अपने बजट में सिगरेट पर लगी ड्यूटी को 3 से बढ़ाकर 22 फीसदी कर दिया। ड्यूटी बढ़ने से पहले उन्होंने कहा, मुझे माफ कीजिएगा, लेकिन इस बार मैं सिगरेट पीने वालों की जेब पर भार डालने वाली हूं।

सिगरेट पर ड्यूटी बढ़ाने के बाद इंदिरा ने कहा था कि इससे सरकार के राजस्व में 13.50 करोड़ रुपये का अतिरिक्त इजाफा हो जाएगा। उनके इस फैसले से 10 सिगरेट वाले पैकेट का रेट एक से दो पैसे तक बढ़ गया था। उन्होंने आयकर में छूट की सीमा बढ़ाकर 40 हजार रुपये कर दी थी। इस पर उन्होंने कहा, मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि आयकर में छूट की सीमा को बढ़ाकर 40 हजार रुपए किया जा रहा है। इनकम टैक्स के जरिए अभी तक देश को 3587 करोड़ रुपये का राजस्व मिल रहा था, जो अब वह बढ़कर 3867 करोड़ रुपये हो जाएगा।

इंदिरा ने गिफ्ट टैक्स की सीमा को कम कर दिया था। प्रत्यक्ष कर में उन्होंने गिफ्ट टैक्स के लिए संपत्ति की कीमत की अधिकतम सीमा 10,000 रुपये से घटाकर 5,000 रुपये कर दी। इसका मतलब था कि उस वक्त 5,000 रुपये से अधिक की संपत्ति को अगर कोई गिफ्ट करता है तो वह टैक्स के दायरे में आ जाएगा।

निजी ट्रस्टों पर कसी नकेल

बजट पेश करते हुए इंदिरा ने कर चोरी करने वालों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया था। उन्होंने अपने भाषण में कर चोरी करने वाले निजी ट्रस्टों को नीचे झुका दिया। इंदिरा ने निजी ट्रस्टों को टैक्स चोरी के प्रमुख उपकरणों में से एक कह दिया था। उस वक्त देश में जितने भी निजी ट्रस्ट थे, वे कराधान की कम दरों का आनंद ले रहे थे।

इंदिरा गांधी, जिनके पास एक संघर्षरत अर्थव्यवस्था के प्रबंधन का कार्य भी था, उन्होंने इसके लिए कई कठोर कदम उठाए। बतौर वित्तमंत्री इंदिरा ने घोषणा की कि विवेकाधीन ट्रस्टों की आय पर 65 फीसदी फ्लैट दर से टैक्स लगेगा। अपने बजट भाषण के दौरान, गांधी ने कहा, कर चोरी और परिहार के लिए प्रमुख उपकरणों में से एक निजी ट्रस्टों का निर्माण है। यही वजह रही कि उन्होंने विवेकाधीन ट्रस्टों की आय पर 65 फीसदी और उनके धन पर 1.5 फीसदी या व्यक्तियों के मामले में लागू दरों पर टैक्स लगाने की बात कही।

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