कोरोना संक्रमण की रफ्तार थमी नहीं है, लेकिन हमने कोविड-19 से बचाव के तरीके अपनाते हुए जिंदगी में आगे बढ़ने का हौसला पा लिया है। आर्थिक गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं और अब स्कूल खोले जाने की भी तैयारियां हैं। फिलहाल तो कक्षा 9 से 12 तक की तैयारी है, मगर देर-सबेर छोटी कक्षाएं भी शुरू होंगी ही। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभिभावकों को चिंतित होना स्वाभाविक है। उनके मन में बार-बार ये सवाल आ रहे हैं कि जब निकट भविष्य में छोटी कक्षाएं शुरू होंगी तब बच्चों को स्कूल भेजने में खतरा है, पर उन्हें घर में रखकर कहीं वे उनके व्यक्तित्व विकास की राह में स्वयं बाधक तो नहींबन जाएंगे। जानें क्या कहते है गुरुग्राम के पीडियाटिशन डॉ. राजीव छाबड़ा।
वास्तव में स्कूल सिर्फ किताबी ज्ञान देने का कार्य नहींकरते, बल्कि वहां बच्चा सामाजिक जीवन के कई महत्वपूर्ण पाठ सीखता है। दोस्ती, शेयरिंग, एक-दूसरे की फिक्र, अनुशासन, समय की अहमियत जैसे गुणों का भी विकास होता है। ऐसे में असमंजस की स्थिति से निकलकर अभिभावकों को छोटे बच्चों को भी कोरोना संक्रमण से बचाव के तरीकों का शिद्दत से पालन करने के लिए तैयार करना चाहिए, घर पर ही इनका लगातार अभ्यास कराना चाहिए, ताकि जब कभी स्कूल खुलें तो वे स्वयं को सुरक्षित रखते हुए पढ़ाई शुरू कर सकें।
मास्क को न छुएं बार-बार: न्यू नॉर्मल का एक अहम हिस्सा हो चला है मास्क। इसे अनावश्यक रूप से बार-बार छूना नहींचाहिए। हो सकता है कि वायरस मास्क की बाह्य सतह पर बैठ गया हो। ऐेसे में जब आप उसे छुएंगे तो वायरस आपके हाथों को स्पर्श कर जाएगा। मास्क को सिर्फ दो बार छूना चाहिए, जब घर से बाहर निकलें तो इसे लगाने के लिए और घर लौटने या गंतव्य पर पहुंचने के बाद इसे उतारने के लिए। अक्सर लोग इसे उतारकर यहां-वहां या पॉकेट में रख लेते हैं और दोबारा पहन लेते हैं। यह तरीका गलत है।
हाथ धोएं बार-बार: कोरोना वायरस से बचाव के लिए साबुन से बार-बार हाथ धोने चाहिए। हमें यह याद रखना चाहिए कि कोरोना वायरस के लिए हमारे हाथ कैरियर का काम करते हैं। हाथों के जरिए जब हम अपने चेहरे, नाक, कान को स्पर्श करते हैं तो वायरस शरीर के भीतर प्रवेश कर जाता है। इससे बचने के लिए सीधा सरल तरीका है कि अपने हाथ साबुन से धोने के बाद ही चेहरे को स्पर्श करें। यदि साबुन और पानी उपलब्ध न हो तो सेनिटाइजर से हाथों को संक्रमण मुक्त करें।
सुरक्षित दूरी रखनी जरूरी: कोरोना से बचाव सुनिश्चित करने के क्रम में सबसे महत्वपूर्ण है सुरक्षित दूरी का पालन। संभव है कि कोई शख्स कोरोना संक्रमित हो, लेकिन उसमें उसके कोई लक्षण न जाहिर हों, इसलिए सुरक्षित दूरी बनाए रखना बेहद जरूरी है, ताकि आप संक्रमण से सुरक्षित रह सकें। व्यक्तिगत मेल-मिलाप और भीड़ का हिस्सा कतई न बनें, यह बात अपने दिमाग में बिठा लें।
यदि बच्चे उपरोक्त बातों का ख्याल रखेंगे तो कोई समस्या नहीं है। याद रखें कि पहली बात तो अभी वैक्सीन तैयार नहींहुई है। दूसरी बात यह है कि अगर वैक्सीन बन गई तो भी वह कितनी कारगर है, इस बात का सटीक आकलन करने में वक्त लगेगा। इसलिए बचाव के उपाय ही हमें कोरोना से मुक्त रखने में मदद करेंगे। बच्चे चीजों को बड़ी तेजी से सीखते हैं। अगर हम उन्हें तार्किकता के साथ कुछ सिखाएंगे तो वे उसे अपने दिमाग में बिठा लेंगे और स्वच्छता के ये संस्कार उन्हें स्वाइन फ्लू, इनफ्लुएंजा, टीबी जैसी घातक बीमारियों से भी बचाएंगे।