एजेंसी/बाराबंकी के जिला अस्पताल में इलाज में देरी से शनिवार को चार साल की बच्ची की मौत हो गई। पेट दर्द से परेशान बच्ची को लेकर जब उसका बाबा ओपीडी में डॉक्टर के पास पहुंचा तो डॉक्टर ने तुरंत इलाज शुरू करने या उसे इमरजेंसी वार्ड में भेजने के बजाय खून की जांच के लिए ब्लड बैंक भेज दिया।
बाबा बच्ची का सैंपल लेकर जब तक डॉक्टर के पास लौटता उसकी हालत गंभीर हो गई और इलाज शुरू होते ही बच्ची ने दम तोड़ दिया। बदहवास बाबा नन्हीं सी जान को सीने से चिपकाए अस्पताल परिसर में इधर-उधर दौड़ता रहा। वह बच्ची को गोद में लिए ही बेहोश हो गया। इस बीच वह कई बार होश में आता रहा और बेहोश होता रहा।
जैदपुर थाना क्षेत्र के जौहरीउद्दीनपुर निवासी राजू की चार साल की पुत्री नैना की तबियत पिछले करीब 15 दिनों से खराब चल रही थी। उसे पेट दर्द की शिकायत थी। परिजन नैना का इलाज स्थानीय झोलाछाप के यहां करा रहे थे, लेकिन उसे कोई कोई लाभ नहीं मिला।
लगातार नैना को पेट दर्द की शिकायत बढ़ती जा रही थी। शनिवार को हालत बिगड़ने पर झोलाछाप डॉक्टर ने भी हाथ खड़े कर दिए, इस पर मासूम नैना का बाबा अवधराम उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचा।खेत खलिहान में काम कर घर पहुंचने पर मासूम नैना की आवाज सुन बाबा अवधराम की पूरी थकान काफूर हो जाती थी। वह गोद में बैठ अपने बाबा से सामानों की फरमाईश करती तो घर की तमाम शिकायतें भी। जिन्हें सुन अवधराम दिनभर की थकान भुला बैठते।
जिला अस्पताल में जब बाबा अवध राम ने पौत्री नैना की मौत की बात सुनी तो वह अचेत हो गया। वह नैना के शव को दो घंटे तक अपने सीने से चिपकाएं धूप में पड़ा रहा।
लोगों ने उसे वहां से हटा कर छांव में करने की कोशिश की तो वह एक ही शब्द कह रहा था बिटिया सो रही है उसे जगाओ नहीं। इसके बाद वह फिर से अचेत हो जा रहा था।