जंग आखिरी दौर में है. अंजाम सबको पता है. बगदादी और उसके साम्राज्य का खात्मा कभी भी हो सकता है. लिहाजा बचे-खुचे लोग अभी से बगदादी का वारिस या यूं कहें कि बगदादी का उत्तराधिकारी चुनने में लग गए हैं. यानी आईएसआईएस को अब बगदादी की जगह नए खलीफा की तलाश है. इस तलाश की वजह बनी है मोसूल की वो लड़ाई, जहां हर गुजरते दिन के साथ बगदादी के आतंकी कम होते जा रहे हैं.
इराक़ी शहर मोसुल के अलग-अलग इलाक़ों में आईएसआईएस बुरी तरह घिरता जा रहा है. एक-एक कर उसके तमाम किले ज़मींदोज़ हो रहे हैं. आईएसआईएस का पतन हो रहा है. आईएसआईएस के हौसले पस्त पड़ चुके हैं. आईएसआईएस के ख़ात्मे की घड़ी अब क़रीब आ चुकी है. किसी भी वक्त दुनिया के नक्शे से इस सबसे ख़ौफ़नाक आतंकवादी संगठन का नामो-निशान मिट सकता है.
इराक़ की तकरीबन सभी छोटी-बड़ी जगहों से पहले ही उसके पांव उखड़ चुके हैं. अब यहां मोसुल ही वो इकलौती जगह बची है, जहां उसके साथ कुर्दिश पेशमर्गा फाइटर्स और इराक़ी फ़ौज के बीच आमने-सामने की लड़ाई चल रही है. अच्छी ख़बर ये है कि यहां भी उसकी हालत पतली हो चली है, लेकिन इससे पहले कि हम आपको मोसुल में जारी इस लड़ाई की एक मुकम्मल तस्वीर दिखाएं. एसएएस के एक स्नाइपर की कहानी सुनाते हैं.
वैसे तो इस जंग में नामालूम कितने ही स्नाइपर लगातार चुन-चुन कर लगातार अपने दुश्मनों को निशाना बना रहे हैं, लेकिन इन्हीं शार्प शूटरों में कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने आईएसआईएस के आतंकवादियों को मार गिराने की सेंचुरी पूरी कर ली है. मोसुल में हाल के दिनों में आईएसआईएस ने उस बेस पर भी कब्ज़ा जमा लिया था, जिसका इस्तेमाल कभी इराक़ी तानाशाह सद्दाम हुसैन करता था.
इस बेस को चारों ओर से घेरने के बाद एसएएस के एक स्नाइपर में बस एक गोली से इसमें छुपे आईएसआईएस के कमांडर को ढेर कर दिया. इस शूटर का ये निशाना इतना सटीक था कि गोली इस कमांडर के सिर में बिल्कुल बीचों-बीच लगी. वैसे तो ये स्नाइपर अपने निशानों का रिकॉर्ड भी मैंटेन करते हैं, लेकिन इराक पहुंचने के बाद उसने इतने आतंकवादियों को मारे कि उसकी गितनी भी गड़बड़ा चुकी थी.
आईएसआईएस के साथ इराक़ी फ़ौज की छिटपुट लड़ाई तो पहले से जारी थी. लेकिन औपचारिक तौर पर 16 अक्टूबर को जंग ए मोसुल का ऐलान हुआ. मकसद था इराक़ी शहर मोसुल से आईएसआईएस को खदेड़ भगाना. ऑपरेशन दो हफ्ते में ही 120 से ज़्यादा गांव और कस्बे आईएसआई से खाली हो गए. 1 नवंबर को इराक़ी फ़ौज मोसुल में दाखिल हो गई. सैकड़ों आतंकियों की मौत के बाद अब किसी भी वक़्त यहां इराक़ी फ़ौज को जीत मिल सकती है.
ऐसे में अब बस इतना समझ लीजिए कि आईएसआईएस की शिकस्त और इराक़ी फ़ौज की जीत के बीच सिर्फ़ एक क़दम का फ़ासला है. पिछले तीन सालों से बगदादी ने इराक और सीरिया को खून के आंसू रुलाए. हजारों लोगों को मौत के घाट उतारा. लाखों परिवार को बेसहारा बनाया. घर-घर को मातम दिया. अब वही दिन खुद बगदादी और उसके अपने आतंकी के लिए लौट आए हैं. अब वो खुद खून के आंसू रो रहे हैं. किस्मत पर पछता रहे हैं.
पिछले कुछ दिनों से फिर ये खबर ज़ोरों पर है कि बगदादी जंग में मारा जा चुका है. उसके आतंकी अब सचमुच यतीम हो गए हैं. दहशत की दुनिया में मीटिंग का दौर जारी है. आतंक की औलादें पसोपेश में हैं. खबर बाहर जाने न पाए कि हम यतीम हो गए. कमरे में दहशत का आलम है. आतंक का खलीफा फ्रेम में तस्वीर बनकर लटका है. आखिर माजरा क्या है. बहुत अंदर से ये खबर आई है कि आईएसआईएस के खलीफा की रूह जहन्नम को परवाज़ कर चुकी है.
जंगल में आग की तरह इराक और सीरिया में ये खबर आम है कि बगदादी के आईएसआईएस को अब एक और बगदादी की तलाश है. इससे पहले कि आतंकियों खुद को यतीम समझें उनके ऊपर आतंक की नए सरपरस्त की ताजपोशी की जाने की तैयारी है. एक बेहद संजीदा जेरुसेलम पोस्ट के हवाले से ये खबर है कि बगदादी मोसुल में मारा जा चुका है. आईएसआईएस के सीनियर आतंकी उसके उत्तराधिकारी के लिए इराक में किसी अनजान जगह पर इमरजेंसी मीटिंग कर रहे हैं.