राजस्थान में अशोक गहलोत भले ही अबतक कांग्रेस के अंदर सचिन पायलट पर भारी पड़े हो, लेकिन कानूनी लड़ाई में पायलट को जीत मिली है. हाईकोर्ट ने विधानसभा स्पीकर के द्वारा दिए गए नोटिस पर अभी स्टे लगा दिया है, जिसके बाद पायलट गुट के विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी अयोग्य करार नहीं दे पाएंगे.
ऐसे में अब नंबर गेम की लड़ाई होगी. ऐसे में पायलट और गहलोत में जो विधायकों का समर्थन जुटाने में कामयाब रहता है सियासी बाजी उसके नाम होगी.
कानूनी पेंच में फंसी बागी कांग्रेस विधायकों की लड़ाई में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजनीतिक रूप से अभी भी मजबूती से डटे हुए हैं, लेकिन सचिन पायलट गुट के पक्ष में बीजेपी और केंद्र सरकार जुटी हुई है.
इसके चलते कांग्रेस की चुनौती बढ़ गई है. ऐसे में कांग्रेस के रणनीतिकार सीएम गहलोत की चुनौती अब विधानसभा में संख्या बल की ताकत से पायलट और बीजेपी दोनों को मात देने की रणनीति को आगे बढ़ाने की है, लेकिन यह लड़ाई अब इतनी आसान भी नहीं है.
गौरतलब है कि मौजूदा नंबरों के हिसाब से अशोक गहलोत रेस में आगे चल रहे हैं. हालांकि, उनके पास भी बहुमत के करीब या फिर बहुमत जितने ही विधायकों का समर्थन प्राप्त है. इसके अलावा गहलोत ने पहले से ही अपने मौजूदा विधायकों की एकजुटता कायम रखने के साथ पायलट खेमे से लौट सकने की संभावना वाले कुछ विधायकों को वापस लाने की रणनीति पर भी काम शुरू कर रहे हैं.
हालांकि, अगर दो-चार विधायक और भी इधर उधर हो जाते हैं, तो फिर आने वाले वक्त में सरकार चलाने में दिक्कत आ सकती है. यही कारण है कि कांग्रेस लगातार सचिन पायलट और उनके समर्थकों को मनाने में लगी है.
वहीं, सचिन पायलट का गुट में 22 विधायक हैं, जिनमें 19 कांग्रेस के और 3 निर्दलीय विधायक शामिल हैं. ऐसे में अगर फ्लोर टेस्ट की नौबत आती है, तो क्या वो बीजेपी के साथ मिलकर अशोक गहलोत सरकार गिराने में सफल हो पाएंगे इसपर संशय बरकरार है.
हालांकि, आखिरी बाजी अब नंबर गेम की होगी, जो इसमें आगे निकलेगा वहीं सियासी जंग फतह करने में कामयाब हो सकेगा.