अगर सरकार ने सेना के शहीद लेफ्टिनेंट उमर फैयाज और शहीद जवान इरफान अहमद डार की हत्या से सबक लिया होता, तो औरंगजेब की जान नहीं गई होती. आतंकियों ने फैयाज और डार की भी हत्या उस समय की थी, जब वो छुट्टी में अपने घर गए हुए थे. सेना ने फैयाज और डार को खोने के बाद एसओपी यानी Standard operating procedure का पालन जरूरी करने का फैसला किया था. इसके तहत सेना में तैनात कश्मीर घाटी के कर्मियों को सुरक्षा देने और उनके घर के नजदीक की स्थानीय सेना यूनिट को जानकारी देने की व्यवस्था की गई थी. हालांकि शहीद औरंगजेब के मामले में ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ. उनको घर तक छोड़ने के लिए न तो वाहन की व्यवस्था की गई और न ही सुरक्षा मुहैया कराई गई. उनको यूनिट के सैनिकों ने रास्ते से गुजर रही कार को हाथ देकर रुकवा लिया और उनको बैठा दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि आतंकियों ने उनको रास्ते में आगवा कर लिया और हत्या कर दी. औरंगजेब को बिना सुरक्षा के भेजने से पहले इस बात को भलीभांति समझ लेना चाहिए था कि जम्मू-कश्मीर में आतंक के सौदागर अमन की भाषा नहीं जानते हैं. रमजान के पवित्र महीने में सरकार ने जब घाटी में सीजफायर किया, तो यह उम्मीद की जा रही थी कि इससे सूबे के हालात बदलेंगे, लेकिन आतंकी खूनी खेल खेलने से बाज नहीं आए. ईद मनाने घर जा रहे सेना के एक जवान औरंगजेब को पुलवामा से आतंकवादियों ने अगवा कर लिया और निर्मम हत्या कर दी. आतंकियों ने ऐसे किया अगवा गुरुवार को औरंगजेब ईद मनाने के लिए घर जा रहे थे. सुबह करीब नौ बजे यूनिट के सैनिकों ने एक कार को रोककर चालक से औरंगजेब को शोपियां तक छोड़ने को कहा. वो बेफिक्र होकर उस कार में सवार होकर घर के लिए निकल पड़े. हालांकि उनको यह पता नहीं था कि वो इस बार ईद मनाने घर नहीं पहुंच पाएंगे. वो जिस कार में सवार होकर घर जा रहे थे, आतंकवादियों ने उनको कालम्पोरा में रोक लिया और उनका अपहरण कर लिया. गोलियों से छलनी शव हुआ बरामद आतंकियों के चंगुल में आए सेना के जांबाज औरंगजेब का गोलियों से छलनी शव गुरुवार रात करीब 10 बजे पुलवामा के जंगलों से बरामद हुआ. ईद से ठीक पहले कश्मीर में आतंकियों ने खून की होली खेल डाली. पुलिस और सेना के संयुक्त दल को औरंगजेब का शव कालम्पोरा से करीब 10 किलोमीटर दूर गुस्सु गांव में मिला. उनके सिर और गर्दन पर गोलियों के निशान मिले. औरंगजेब 4-जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फेंटरी के शादीमार्ग (शोपियां) स्थित 44 राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे. हिज्बुल आतंकी समीर को ढेर करने वाली टीम का हिस्सा थे औरंगजेब वो हिज्बुल आतंकी समीर को 30 अप्रैल 2018 को ढेर करने वाले मेजर रोहित शुक्ला की टीम में शामिल थे. जांबाज औरंगजेब ने कई बड़े ऑपरेशनों को अंजाम दिया था. माना जा रहा है कि सेना के ऑपरेशनों में हिस्सा लेने के चलते आतंकियों ने उनको निशाना बनाया है. ईद से पहले कश्मीर में दो जनाजे एक साथ कश्मीर को एक ही दिन दो जनाजों का सामना करना पडा. एक तरफ कलम का सेनानी शुजात बुखारी तो दूसरी तरफ सीमा का प्रहरी औरंगजेब. आतंकवादियों ने दिखा दिया है कि रमजान में सीजफायर के फैसले का उनके लिए क्या मतलब है. आतंकियों ने औरंगजेब के परिवार की ईद कर दी काली औरंगजेब और बुखारी के परिवारों की ईद आतंकियों ने काली कर दी. बेटे औरंगजेब के अगवा होने की खबर मिलते ही उनके पिता दिनभर दरगाह के सामने घुटने टेककर सलामती के लिए दुआ मांगते रहे, लेकिन वो दुआ नामंजूर हो गई. आतंकियों ने एक बहन की रहम की फरियाद पर खून फेर दिया है. गोलियों से छलनी औरंगजेब की लाश हिंदुस्तान के लिए सबक है कि वो आतंकवाद से निपटने के तरीकों पर नए सिरे से विचार करे.

फैयाज और डार की हत्या से सबक लिया होता, तो बच जाती औरंगजेब की जान

अगर सरकार ने सेना के शहीद लेफ्टिनेंट उमर फैयाज और शहीद जवान इरफान अहमद डार की हत्या से सबक लिया होता, तो औरंगजेब की जान नहीं गई होती. आतंकियों ने फैयाज और डार की भी हत्या उस समय की थी, जब वो छुट्टी में अपने घर गए हुए थे. सेना ने फैयाज और डार को खोने के बाद एसओपी यानी Standard operating procedure का पालन जरूरी करने का फैसला किया था.अगर सरकार ने सेना के शहीद लेफ्टिनेंट उमर फैयाज और शहीद जवान इरफान अहमद डार की हत्या से सबक लिया होता, तो औरंगजेब की जान नहीं गई होती. आतंकियों ने फैयाज और डार की भी हत्या उस समय की थी, जब वो छुट्टी में अपने घर गए हुए थे. सेना ने फैयाज और डार को खोने के बाद एसओपी यानी Standard operating procedure का पालन जरूरी करने का फैसला किया था.  इसके तहत सेना में तैनात कश्मीर घाटी के कर्मियों को सुरक्षा देने और उनके घर के नजदीक की स्थानीय सेना यूनिट को जानकारी देने की व्यवस्था की गई थी. हालांकि शहीद औरंगजेब के मामले में ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ. उनको घर तक छोड़ने के लिए न तो वाहन की व्यवस्था की गई और न ही सुरक्षा मुहैया कराई गई. उनको यूनिट के सैनिकों ने रास्ते से गुजर रही कार को हाथ देकर रुकवा लिया और उनको बैठा दिया.  इसका नतीजा यह हुआ कि आतंकियों ने उनको रास्ते में आगवा कर लिया और हत्या कर दी. औरंगजेब को बिना सुरक्षा के भेजने से पहले इस बात को भलीभांति समझ लेना चाहिए था कि जम्मू-कश्मीर में आतंक के सौदागर अमन की भाषा नहीं जानते हैं.  रमजान के पवित्र महीने में सरकार ने जब घाटी में सीजफायर किया, तो यह उम्मीद की जा रही थी कि इससे सूबे के हालात बदलेंगे, लेकिन आतंकी खूनी खेल खेलने से बाज नहीं आए. ईद मनाने घर जा रहे सेना के एक जवान औरंगजेब को पुलवामा से आतंकवादियों ने अगवा कर लिया और निर्मम हत्या कर दी.  आतंकियों ने ऐसे किया अगवा  गुरुवार को औरंगजेब ईद मनाने के लिए घर जा रहे थे. सुबह करीब नौ बजे यूनिट के सैनिकों ने एक कार को रोककर चालक से औरंगजेब को शोपियां तक छोड़ने को कहा. वो बेफिक्र होकर उस कार में सवार होकर घर के लिए निकल पड़े. हालांकि उनको यह पता नहीं था कि वो इस बार ईद मनाने घर नहीं पहुंच पाएंगे. वो जिस कार में सवार होकर घर जा रहे थे, आतंकवादियों ने उनको कालम्पोरा में रोक लिया और उनका अपहरण कर लिया.  गोलियों से छलनी शव हुआ बरामद  आतंकियों के चंगुल में आए सेना के जांबाज औरंगजेब का गोलियों से छलनी शव गुरुवार रात करीब 10 बजे पुलवामा के जंगलों से बरामद हुआ. ईद से ठीक पहले कश्मीर में आतंकियों ने खून की होली खेल डाली. पुलिस और सेना के संयुक्त दल को औरंगजेब का शव कालम्पोरा से करीब 10 किलोमीटर दूर गुस्सु गांव में मिला. उनके सिर और गर्दन पर गोलियों के निशान मिले. औरंगजेब 4-जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फेंटरी के शादीमार्ग (शोपियां) स्थित 44 राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे.  हिज्बुल आतंकी समीर को ढेर करने वाली टीम का हिस्सा थे औरंगजेब  वो हिज्बुल आतंकी समीर को 30 अप्रैल 2018 को ढेर करने वाले मेजर रोहित शुक्ला की टीम में शामिल थे. जांबाज औरंगजेब ने कई बड़े ऑपरेशनों को अंजाम दिया था. माना जा रहा है कि सेना के ऑपरेशनों में हिस्सा लेने के चलते आतंकियों ने उनको निशाना बनाया है.  ईद से पहले कश्मीर में दो जनाजे एक साथ  कश्मीर को एक ही दिन दो जनाजों का सामना करना पडा. एक तरफ कलम का सेनानी शुजात बुखारी तो दूसरी तरफ सीमा का प्रहरी औरंगजेब. आतंकवादियों ने दिखा दिया है कि रमजान में सीजफायर के फैसले का उनके लिए क्या मतलब है.  आतंकियों ने औरंगजेब के परिवार की ईद कर दी काली  औरंगजेब और बुखारी के परिवारों की ईद आतंकियों ने काली कर दी. बेटे औरंगजेब के अगवा होने की खबर मिलते ही उनके पिता दिनभर दरगाह के सामने घुटने टेककर सलामती के लिए दुआ मांगते रहे, लेकिन वो दुआ नामंजूर हो गई. आतंकियों ने एक बहन की रहम की फरियाद पर खून फेर दिया है. गोलियों से छलनी औरंगजेब की लाश हिंदुस्तान के लिए सबक है कि वो आतंकवाद से निपटने के तरीकों पर नए सिरे से विचार करे.

इसके तहत सेना में तैनात कश्मीर घाटी के कर्मियों को सुरक्षा देने और उनके घर के नजदीक की स्थानीय सेना यूनिट को जानकारी देने की व्यवस्था की गई थी. हालांकि शहीद औरंगजेब के मामले में ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ. उनको घर तक छोड़ने के लिए न तो वाहन की व्यवस्था की गई और न ही सुरक्षा मुहैया कराई गई. उनको यूनिट के सैनिकों ने रास्ते से गुजर रही कार को हाथ देकर रुकवा लिया और उनको बैठा दिया.

इसका नतीजा यह हुआ कि आतंकियों ने उनको रास्ते में आगवा कर लिया और हत्या कर दी. औरंगजेब को बिना सुरक्षा के भेजने से पहले इस बात को भलीभांति समझ लेना चाहिए था कि जम्मू-कश्मीर में आतंक के सौदागर अमन की भाषा नहीं जानते हैं.

रमजान के पवित्र महीने में सरकार ने जब घाटी में सीजफायर किया, तो यह उम्मीद की जा रही थी कि इससे सूबे के हालात बदलेंगे, लेकिन आतंकी खूनी खेल खेलने से बाज नहीं आए. ईद मनाने घर जा रहे सेना के एक जवान औरंगजेब को पुलवामा से आतंकवादियों ने अगवा कर लिया और निर्मम हत्या कर दी.

आतंकियों ने ऐसे किया अगवा

गुरुवार को औरंगजेब ईद मनाने के लिए घर जा रहे थे. सुबह करीब नौ बजे यूनिट के सैनिकों ने एक कार को रोककर चालक से औरंगजेब को शोपियां तक छोड़ने को कहा. वो बेफिक्र होकर उस कार में सवार होकर घर के लिए निकल पड़े. हालांकि उनको यह पता नहीं था कि वो इस बार ईद मनाने घर नहीं पहुंच पाएंगे. वो जिस कार में सवार होकर घर जा रहे थे, आतंकवादियों ने उनको कालम्पोरा में रोक लिया और उनका अपहरण कर लिया.

गोलियों से छलनी शव हुआ बरामद

आतंकियों के चंगुल में आए सेना के जांबाज औरंगजेब का गोलियों से छलनी शव गुरुवार रात करीब 10 बजे पुलवामा के जंगलों से बरामद हुआ. ईद से ठीक पहले कश्मीर में आतंकियों ने खून की होली खेल डाली. पुलिस और सेना के संयुक्त दल को औरंगजेब का शव कालम्पोरा से करीब 10 किलोमीटर दूर गुस्सु गांव में मिला. उनके सिर और गर्दन पर गोलियों के निशान मिले. औरंगजेब 4-जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फेंटरी के शादीमार्ग (शोपियां) स्थित 44 राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे.

हिज्बुल आतंकी समीर को ढेर करने वाली टीम का हिस्सा थे औरंगजेब

वो हिज्बुल आतंकी समीर को 30 अप्रैल 2018 को ढेर करने वाले मेजर रोहित शुक्ला की टीम में शामिल थे. जांबाज औरंगजेब ने कई बड़े ऑपरेशनों को अंजाम दिया था. माना जा रहा है कि सेना के ऑपरेशनों में हिस्सा लेने के चलते आतंकियों ने उनको निशाना बनाया है.

ईद से पहले कश्मीर में दो जनाजे एक साथ

कश्मीर को एक ही दिन दो जनाजों का सामना करना पडा. एक तरफ कलम का सेनानी शुजात बुखारी तो दूसरी तरफ सीमा का प्रहरी औरंगजेब. आतंकवादियों ने दिखा दिया है कि रमजान में सीजफायर के फैसले का उनके लिए क्या मतलब है.

आतंकियों ने औरंगजेब के परिवार की ईद कर दी काली

औरंगजेब और बुखारी के परिवारों की ईद आतंकियों ने काली कर दी. बेटे औरंगजेब के अगवा होने की खबर मिलते ही उनके पिता दिनभर दरगाह के सामने घुटने टेककर सलामती के लिए दुआ मांगते रहे, लेकिन वो दुआ नामंजूर हो गई. आतंकियों ने एक बहन की रहम की फरियाद पर खून फेर दिया है. गोलियों से छलनी औरंगजेब की लाश हिंदुस्तान के लिए सबक है कि वो आतंकवाद से निपटने के तरीकों पर नए सिरे से विचार करे.

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