दुनियाभर में फेक अकाउंट के नेटवर्क काम कर रहे हैं। किसी भी प्रमुख देश के चुनाव के समय ऐसी प्रोफाइल लाखों की संख्या में तैयार हो रही हैं। रूस, ब्राजील और म्यांमार के चुनाव के बाद अब भारत उनके निशाने पर है। फेसबुक के अपने अनुमान के अनुसार सोशल मीडिया पर चाइल्ड पोर्न और अन्य तरह की न्यूडिटी के 96% कंटेंट को हटाने में वह कामयाब रहा। फेक अकाउंट सोशल साइट्स के लिए अब महामारी बनते जा रहे हैं। खुद फेसबुक ने अपनी एक इंटरनल रिपोर्ट में बताया है कि कंपनी ने अभी तक इस तरह के डेढ़ अरब अकाउंट पकड़े हैं। लेकिन लाखों की संख्या में नए फेक अकाउंट फिर सामने आ रहे हैं। कंपनी के अनुसार भारत के चुनावी साल में यह समस्या और चुनौतीपूर्ण होने का अनुमान है, जिसके लिए सरकार ने सोशल मीडिया पर दबाव बढ़ाया हुआ है।
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फेसबुक ने 99% एंटी टेरर कंटेंट को पहचान कर रिमूव कर दिया गया है। लेकिन चुनाव में सबसे बड़े हथियार के तौर पर इस्तेमाल होने वाले हेट स्पीच के मामलों में टीमें इतनी कारगर साबित नहीं हो पा रही हैं। हेट स्पीच जैसे भाषायी कंटेंट की बारीकियां पकड़ना बड़ी चुनौती है। इस तरह के 52% मामले ही पहचाने जा पा रहे हैं। इस तरह के कंटेंट की समझ और टेक्नोलॉजी विकसित करने के लिए सोशल प्लेटफॉर्म भाषा विशेषज्ञाें की भर्ती कर रहा है।
सोशल मीडिया पर 18 तरह के आपत्तिजनक कंटेट की फेसबुक ने पहचान की है। इसे हटाने की एक व्यापक रणनीति तैयार की जा रही है। इनमें हिंसा को अच्छा बताने वाले, दूसरों को कष्ट पहुंचाने का जश्न मनाने, किसी को अपमानित करने, नग्नता को बढ़ावा देने, चाइल्ड पोर्न, इंटरनल ऑर्गन दिखाने, जलते हुए लोग या झुलसी बॉडी दिखाने वाले कंटेंट शामिल हैं।
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रिपोर्ट में यह भी आशंका जाहिर की जा रही है कि अपार फंड से लैस कैंपेन एजेंसियां फेक अकाउंट खोलने, उन्हें असली जैसा दिखाने और चुनाव को प्रभावित करने के नए हथकंडे खोज रही हैं। फेसबुक ने दुनियाभर में 30 हजार प्रोफेशनल्स और विशेषज्ञों की बड़ी टीम खड़ी की है।
पेटीएम जैसे पे-एप पर खाते खुल जाते थे, लेकिन रिजर्व बैंक ने हस्तक्षेप किया और उन्हें बाध्य किया कि हर अकाउंट होल्डर का केवाईसी लिया जाए। ऐसा नहीं होगा तो वे एप इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। जाहिर है कि सोशल मीडिया को इस कड़े नियम से अपना बड़ा ट्रैफिक खो जाने का डर हैै। इसीलिए वे प्राइवेसी नियमों का हवाला देते हैं।
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