नताशा सिंगर, द न्यूयॉर्क टाइम्स अमेरिका के ओहायो प्रांत में रात की ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मी के पास फेसबुक की ओर से एक फोन आया। दूसरी ओर से जानकारी दी गई कि एक महिला ने फेसबुक पर पोस्ट किया है कि वह परेशान है और उसके मन में खुदकशी का ख्याल आ रहा है।
पुलिसकर्मी ने मोर्चा संभाला और एक पुलिस टीम तुरंत महिला तक पहुंच गई। महिला ने कहा कि अब उसके मन में ऐसा कोई विचार नहीं, फिर भी पुलिसकर्मी उसे डॉक्टर के पास ले गए और यह सुनिश्चित किया कि वह कोई अप्रिय कदम न उठाए। यह इस तरह का पहला मामला नहीं है।
कैसे करता है काम?
इसके तहत एल्गोरिदम के माध्यम से फेसबुक ऐसी पोस्ट या कमेंट की पहचान करता है, जिसमें किसी ने आत्मघाती बात की है। इस तरह की पोस्ट मिलते ही इसकी जानकारी फेसबुक की टीम तक पहुंचती है। वहां विशेषरूप से प्रशिक्षित और कानूनी प्रावधानों के जानकार लोग पोस्ट की समीक्षा करते हैं। अगर उन्हें जरूरी लगता है, तो पुलिस से संपर्क करते हैं।
कई जानें बचाने में मिली है मदद
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार आत्महत्या 15 से 29 साल की उम्र के लोगों में मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह है। ऐसे में फेसबुक की यह पहल बहुत मददगार साबित हो रही है। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने नवंबर में एक पोस्ट में बताया था कि फेसबुक की इस पहल से अब तक दुनियाभर में करीब 3,500 लोगों तक मदद पहुंचाई गई है। कुछ पुलिस अधिकारी भी इसे अच्छा कदम मान रहे हैं।
कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने फेसबुक की इस पहल पर सवाल भी उठाया है। उनका कहना है कि इस तरह की हर सूचना पुलिस के पास पहुंचने से संभव है कि किसी ऐसे व्यक्ति को बेवजह डॉक्टर के पास जाना पड़े, जिसमें खुदकशी का कोई विचार नहीं है। फेसबुक का तरीका कितना सटीक और सुरक्षित है, इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। हाल में जिस तरह से फेसबुक से लोगों के डाटा चोरी होने के मामले आए हैं, उससे लोगों का भरोसा भी डिगा है।
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