बदलती दिनचर्या और काम के बोझ के चलते इन दिनों कई महिलाएं तनाव से गुजर रही हैं और ऐसे में कुछ महिलाओं में शादी के बाद गर्भाधारण से संबंधित समस्याएं भी दिखने को मिलती हैं. ऐसी महिलाओं को शादी के बाद जब बच्चा नहीं होता है तो और अधिक मानसिक तनाव सहन करना पड़ता है, लेकिन प्रेग्नेंट नहीं होने की समस्या से आईवीएफ तकनीक के सहारे छुटकारा पाया जा सकता है. आइए जानते हैं क्या है आईवीएफ तकनीक और बच्चा पाने वाली महिलाओं के लिए क्यों ये उम्मीद की किरण बनकर उभरी है –
क्या है आईवीएफ तकनीक-
आईवीएफ तकनीक का पूरा नाम है इन विट्रो फर्टीलाइजेशन. दरअसल जिन महिलाओं में गर्भाधारण की समस्या रहती है, उनमें आईवीएफ तकनीक काफी लाभदायक मानी जाती है. आम बोलचाल की भाषा में इसे टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक भी कहा जाता है और इसकी सफलता के कारण ही आजकल बड़े शहरों में कई आईवीएफ सेंटर तेजी से खुलते जा रहे हैं.
ऐसे काम करती है आईवीएफ तकनीक-
myUpchar से जुड़े डॉ. विशाल मकवाना के अनुसार, आईवीएफ तकनीक में महिला के अंडाशय से अंडाणुओं को निकाला जाता है और उन्हें प्रयोगशाला में पुरुष के शुक्राणुओं के साथ निषेचित किया जाता है. बता दें कि किसी भी भ्रूण के निर्माण के लिए अंडाणु और शुक्राणु में निषेचन ही सर्वप्रथम प्रक्रिया होती है और यह कुछ महिलाओं में प्राकृतिक तौर पर नहीं हो पाती है और आईवीएफ तकनीक के द्वारा इसे प्रयोगशाला में संपन्न किया जाता है. ऐसी महिलाओं में अंडाणु और शुक्राणुओं के निषेचन के बाद की प्रक्रिया प्राकृतिक तौर पर ही जारी रहती है. प्रयोगशाला में जब अंडाणु को शुक्राणु से निषेचित कर दिया जाता है और भ्रूण विकसित होता है तो इस भ्रूण को महिला के गर्भ में डाल दिया जाता है. इस प्रक्रिया में पत्नी के अंडाणु और पति के शुक्राणु का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अगर किसी एक पार्टनर के अंडाणु और शुक्राणु में कोई समस्या रहती है तो डोनर के अंडाणु और शुक्राणु का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
किन लोगों के लिए ज्यादा फायदेमंद-
myUpchar से जुड़े डॉ. विशाल मकवाना के अनुसार, आईवीएफ तकनीक ऐसी महिलाओं के लिए ज्यादा फायदेमंद है, जो प्राकृतिक तौर पर गर्भाधारण नहीं कर पाती हैं. आजकल हम देखते हैं कि कई महिलाएं कामकाज व नौकरीपेशा होने के कारण काफी देर से शादी करती है. ज्यादा उम्र होने पर भी कई महिलाओं में गर्भाधारण से संबंधित समस्याएं होने लगती हैं. ऐसे में आईवीएफ तकनीक काफी फायदेमंद साबित होती है. इसके अलावा जिन महिलाओं में फैलोपियन ट्यूब में रूकावट हो या आईयूआई (इन्ट्रायूटेराइन इनसेमिनेशन) जैसी तकनीक सफल नहीं हुई हो तो वे महिलाएं भी आईवीएफ तकनीक का इस्तेमाल कर सकती हैं. आईयूआई तकनीक में सीधा शुक्राणु को गर्भाशय में डाल दिया जाता है.
आईवीएफ से पहले पुरुष पार्टनर का भी जरूर कराएं टेस्ट-
यदि आईवीएफ तकनीक का सहारा ले रहे हैं तो महिलाओं को पुरुष पार्टनर का भी टेस्ट जरूर करा लेना चाहिए, क्योंकि यह सुनिश्चित करा लेना चाहिए कि महिला के साथ-साथ पुरुष के वीर्य में मौजूद शुक्राणुओं की संख्या, शुक्राणुओं की गतिशीलता और शुक्राणुओं के आकार में सही जानकारी प्राप्त हो सके. कई बार पुरुषों के शुक्राणुओं की संख्या में कमी या कमजोर शुक्राणुओं के कारण भी आईवीएफ तकनीक सफल नहीं हो पाती है.