लखनऊ। शासन की सख्ती के बावजूद स्वास्थ्य कर्मी लापरवाही से बाज नहीं आ रहे हैं। आलम यह है कि गर्भवती को प्रसव पीड़ा होने पर न आशा पहुंची और न ही एंबुलेंस। ऐसे में हालत बिगड़ी देख पति बाइक से लेकर गर्भवती को सीएचसी भागे। महिला का रास्ते में ही प्रसव हो गया, इस दौरान जन्मे दोनों बच्चों की मौत हो चुकी थी।
गोसाईगंज के जौखंडी गांव के मजरा मुकुंदखेड़ा निवासी हिना को सोमवार को प्रसव पीड़ा हुई। पति सनी ने आशाबहू आशा देवी को फोन कर अस्पताल चलने की फरियाद की। मगर आशा ने हिना के साथ अस्पताल चलने से इंकार कर एंबुलेंस भेजने का वादा किया। मगर काफी देर तक न तो आशा पहुंची और न ही एंबुलेंस। ऐसे में सनी ने गांव से बाइक मांग कर पत्नी हिना को खुद सीएचसी गोसाईगंज ले जाने का फैसला किया।
प्रसव पीड़ा से तड़प रही हिना को बाइक पर बैठना भी मुश्किल था। सड़क पर लग रहे हिचकोलों से हिना की हालत और खराब हो गई। ऐसे में लखनऊ-सुलतानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर कोड़रा कुटी के पास सनी ने बाइक रोक दी। यहां सड़क किनारे ही हिना ने जुड़वा बच्चों (मेल) को जन्म दिया। जन्में बच्चों की सांसें थम चुकी थीं। इस दौरान सड़क पर भीड़ जुट गई। प्रसव के बाद हिना को अस्पताल ले जाने के बजाय परिजन वापस घर ले गए।
सनी ने बताया कि उसका एक बेटा वर्ष 2015 में हुआ था जिसका नाम निरहुआ था। वर्ष 2016 में अचानक उसकी तबियत खराब हुई और उसकी मौत हो गई। एक साल के बच्चे को खोने का गम हिना भुला भी नहीं सकीं। उसके गर्भ में पल रहे दो बच्चों की फिर मौत हो गई।
सनी ने बताया कि आशा बहू के कहने पर एंबुलेंस का इंतजार किया, लेकिन काफी देर एंबुलेंस नहीं आई। हालत अधिक बिगड़ती देखकर बाइक से हिना को सीएचसी पहुंचाने का फैसला किया। गांव से सीएचसी लगभग दस किमी है। बाइक पर हिना को कई बार झटके लगे, जिसके कारण उसे दर्द तेज होने लगा, और सड़क पर ही प्रसव कराना पड़ा।
सनी का कहना है कि उसे खुद मुफ्त एंबुलेंस सेवा का नंबर नहीं पता था। आशाबहू ने कभी भी कोई एंबुलेंस के नंबर के बारे में नहीं बताया। वहीं आशाबहू को फोन करने के बाद भी वह नहीं आई। सोमवार देर रात उससे बात हुई तो बताया कि मैंने 102 एंबुलेंस को फोन किया था, लेकिन एंबुलेंस किसी मरीज को लेकर गई थी। बच्चे की मौत की खबर के बाद उसने एंबुलेंस को मना कर दिया था।