प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को सुबह 11 बजे अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 62वें संस्करण को संबोधित करेंगे। 26 जनवरी को अपने पिछले संबोधन में प्रधानमंत्री ने लोगों से नए दशक में नए संकल्प के साथ भारत माता की सेवा करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा था कि दुनिया को भारत से जो उम्मीदें हैं, उसे वह पूरी करेगा।
किसी विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत एकमात्र रास्ता
प्रधानमंत्री ने लोगों से जल संरक्षण के लिए प्रयास करने को भी कहा था। उन्होंने दूसरों को प्रेरित करने के लिए हैशटैग जलशक्ति4इंडिया के साथ चित्रों और वीडियो के माध्यम से अपने प्रयासों की कहानियों को साझा करने का भी अनुरोध किया था। मोदी ने हिंसा के जरिये समस्या का समाधान खोजने वाले लोगों से मुख्यधारा में आने का भी आग्रह किया था और कहा था कि किसी विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत एकमात्र रास्ता है।
61वें ‘मन की बात’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि असम की सरकार और लोगों ने इस बार खेलो इंडिया का सफल आयोजन किया जिसके लिए मैं उन्हें बधाई देता हूं। इस बार खेलो इंडिया में छह हजार खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया और इसमें 80 रेकॉर्ड टूटे। इस बार अधिकतर रेकॉर्ड बेटियों के नाम रहे। बीते तीन वर्षों में इस कार्यक्रम में खिलाड़ियों की संख्या दोगुनी हो चुकी है और इसके जरिए 32 सौ बच्चे आगे बढ़े हैं। इन खिलाड़ियों की कहानियां प्रेरणादायी हैं। तमिलनाडु के योगानाथन बीड़ी बनाते हैं लेकिन उनकी बेटी ने इसमें गोल्ड जीतकर परिवार और राज्य का नाम रोशन किया है।
खेलो इंडिया का आयोजन करने वाले असम में एक और बड़ा काम हुआ है। हाला ही में आठ उग्रवादी संगठन के 600 लोगों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर सरेंडर किया है। वे मुख्यधारा में लौट आए हैं, जिन्होंने कभी किन्हीं क्षेत्रीय वजहों से हथियार उठा लिए थे। उनको अब यकीन हो गया है कि बातचीत और शांति से ही किसी भी मसले का हल निकल सकता है। हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकती है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने एक भावुक अपील भी की। उन्होंने कहा कि मैं गणतंत्र दिवस के मौके पर हथियार के दम पर समाधान खोज रहे लोगों से अपील करता हूं कि वे मुख्यधारा में लौट आएं।
पीएम मोदी ने कहा कि हाल ही में देश एक बड़ी ऐतिहासिक घटना का गवाह बना है। सन 1997 में जातीय संघर्ष के कारण ब्रू जनजातीय लोगों को मिजोरम छोड़ना पड़ा था। उन्हें त्रिपुरा में कैंपों में शरणार्थियों के रूप में रखा गया। उन्हें 23 वर्षों तक बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ा। सरकारें आईं और चली गईं लेकिन किसी ने उनकी समस्याओं और दुश्वारियों पर ध्यान नहीं दिया। आप सोच सकते हैं कि 23 साल तक कैंपों में बेहद कठिन परिस्थितियों में जीवन कितना कष्टकारी रहा होगा। इन सबके बावजूद उनका विश्वास भारतीय संविधान में बना रहा अब सरकार ने एक समझौते के तहत उनकी परेश्शानियां दूर कर दी हैं। अब उन्हें त्रिपुरा में बसाया जाएगा और इसके लिए केंद्र से 600 करोड़ रुपये की मदद दी जाएगी। उन लोगों को जमीन और घर भी दिया जाएगा और वे सरकारी योजनाओं नौकरियों का लाभ उठा सकेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने जल संरक्षण के कार्यों में जनभागीदारी का उल्लेख करते हुए कहा कि लोगों की व्यापक कोशिशों से जल संरक्षण को लेकर देश के अलग अलग हिस्सों में बेहतरीन काम हो रहे हैं। पिछले मानसून में शुरू किया गया जल संरक्षण अभियान आज रंग ला रहा है। इस अभियान में समाज के हर वर्ग के लोगों ने भागीदारी की है। राजस्थान में लोगों ने बावलियों को साफ करके इसका बेहतरीन उदाहरण पेश किया है। बावड़ियों और तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिए किसी ने श्रमदान किया तो किसी ने आर्थिक मदद की है। यूपी के बाराबंकी में लोगों ने उस ताल को नया जीवन दिया जो अस्तीत्व खोने के कगार पर था। अब यह ताल पानी से लबालब है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा से भी ऐसी ही कहानी सामने आई है।