उत्तराखंड के सभी मदरसों में आरटीई के मानकों की जांच होगी। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के मुताबिक, इस संबंध में मुख्य सचिव को निर्देश जारी किया जाएगा। वहीं, आयोग में पेश न होने पर रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए मुख्य सचिव को लिखा जाएगा।
आयोग ने कहा, जिन मदरसों की मैपिंग नहीं हुई, उनमें पढ़ रहे बच्चों के विद्यालयों में प्रवेश कराए जाएं। प्रदेश में मदरसों की मैपिंग न करने पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को समन जारी कर दिल्ली तलब किया था। छह जिलों के जिलाधिकारियों को सात जून को और सात जिलों के जिलाधिकारियों को 10 जून को आयोग में पेश होने के आदेश दिए थे।
आयोग के मुताबिक, रुद्रप्रयाग के डीएम को छोड़कर अन्य सभी जिलों के जिलाधिकारियों के प्रतिनिधि आयोग में पेश हुए। आयोग में पेश हुए अधिकारियों ने आयोग को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें शपथपत्र के साथ बताया गया कि 150 हिंदू बच्चे मदरसों में पढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बताया है।
होगी जांच- किस तरह का पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा
उन्होंने कहा, सरकार मदरसों को अनुदान दे रही है, लेकिन बच्चे अभी भी प्रारंभिक शिक्षा के अपने मौलिक अधिकार से वंचित हैं। राज्य के गैर मानचित्रित मदरसों में पढ़ रहे सभी बच्चों का विद्यालय में प्रवेश कराया जाए। कहा, मदरसों की जिलेवार जांच होगी।
जांच में देखा जाएगा कि इनमें पढ़ा रहे शिक्षक आरटीई के मानक के अनुसार शैक्षिक अर्हता रखते हैं या नहीं, उन्हें किस तरह का पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है। कहा, स्कूल भवन और खेल मैदान समेत अन्य मानक भी पूरे हैं या नहीं। आयोग के अध्यक्ष ने कहा, पूरे प्रकरण को न्यायालय के संज्ञान में भी लाया जाएगा।
प्रदेश में 416 मदरसे उत्तराखंड मदरसा बोर्ड से पंजीकृत हैं। इन सभी मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू है। कुछ मदरसों में प्रशिक्षित शिक्षक हैं, जिनमें नहीं हैं, उनमें इसकी व्यवस्था का प्रयास किया जा रहा है। -मुफ्ती समून कासमी, अध्यक्ष, उत्तराखंड मदरसा बोर्ड
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