मान्यता है कि हनुमानजी की आराधना करने से भक्तों के सभी कष्टों का नाश होता है और सुख-समृद्धि के साथ आरोग्य की प्राप्ति होती है। बजरंगबली शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता है और इनकी उपासना के ग्रहदोष भी दूर हो जाते हैं।
वैसे तो सप्ताह में सातों दिन इनकी आराधना का विधान है, लेकिन मंगलवार और शनिवार को दर्शन करना ज्यादा फलदायी होता है। इसी तरह रामनवमी, दशहरा, हनुमान जयंती और हनुमान अष्टमी पर महाबली हनुमान की आराधना करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।
शास्त्रों में हनुमान जयंती की तरह हनुमान अष्टमी पर भी बजरंगबली की उपासना का खास विधान बताया गया है। पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हनुमान अष्टमी का पर्व मनाया जाता है।
हनुमान अष्टमी या पर्व विजय उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन हनुमानजी की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और कष्टों का नाश होता है। हनुमान अष्टमी क्यों मनाई जाती है इस संबंध में शास्त्रों में एक कथा का वर्णन है।
मान्यता है कि लंका विजय और देवी सीता को रावण की कैद से मुक्त कराने के लिए जब श्रीराम और रावण के बीच युद्ध हो रहा था उस समय युद्ध के दौरान अहिरावण श्रीराम और लक्ष्मण को कैद कर पाताल लोक में ले जाकर बलि देना चाहता था।
उस समय महाबलि हनुमान को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने अहिरावण का वध कर दोनों भाइयों को उसकी कैद से छुड़वाया था। युद्ध के दौरान हनुमानजी काफी थक गए थे इसलिए उन्होंने युद्ध के बाद अवंतिका नगरी में जाकर विश्राम किया था।
हनुमानजी की वीरता और साहस से प्रसन्न होकर भगवान श्रीराम ने हनुमानजी को आशीर्वाद दिया था कि जो भक्त पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हनुमान आराधना करेगा उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी।
एक अन्य मान्यता के अनुसार हनुमान अष्टमी को सभी हनुमान मंदिरों में बजरंगबली का वास होता है। इस समय हनुमानजी ने महादेव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी।