पैड वूमन ने अपने हाथो में पैड लेकर किया कुछ ऐसा, जिसने भी देखा रह गया सन्न…

आजकल सभी जगहों पर अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन की चर्चा हो रही है। लेकिन साक्षरता ओर जागरूकता मे पिछडे बाहुल्य जिले झाबुआ में इस समय एक गांव की महिलाओं को पैड वुमेन के नाम से जाना जा रहा है। जिसने द्वारा सैनेटरी पैड खुद अपने हाथो से बनाकर अपेन ही गांव में महिलाओं को बेच रही है। मामले मेे झाबुआ जिले के एक छोटे से गांव आम्बाखोदरा की

महिलाओं द्वारा विगत 2016 करीब पिछले तीन सालों से लगातार सैनेटरी पैड बनाने का कार्य किया जा रहा है। जिसमें पूर्व में महिलाओं को इस तरह के कार्य करने में कई लोगों द्वारा रोका गया। कई महिलाओं के घर में तो भूचाल सा आ गया कई महिलाओ के घर परिवार वालो के द्वारा महिला को पीटा गया लेकिन आज इस कार्य को करने के लिये करीब 10 से 12 महिलाओ को एक ग्रुप है जो इस कार्य को सफल अंजाम दे रही है। महिलाओ के द्वारा अक्षय कुमार की फिल्म पैड मैन में जिस तरह सैनेटरी पैड को बनाने का तरीका बताया गया है ठीक उसी तरह आम्बाखोदरा गांव की महिलाएं सैनेटरी पेड बना रही है। इन महिलाओ के द्वारा सैनेटरी पेड को बनाकर गांव में महिलाओं को पिरीयेड के दौरान होने पर अपने हाथो से बने पेड बेचती है। जिससे महिलाओं को पीरियड के दौरान कपड़ा उपयोग करने से कई बीमारियो से बचने की सलाह भी इन महिलाओं के द्वारा दी जाती है। इसी के साथ इस तरह के पेड बनाने पर महिलाओं एवं बालिकों को इन्हे उपयोग की सलाह दी जाती है। जिससे उन्हे बीमारियों से बचने में भी मदद मिलती है।

गांव की महिलाओ को कर रही जागरूक
सैनेटरी पेड समूह की लीडर हेमलता द्वारा बताय गया कि पहले इस कार्य को शुरू करने में बहुत दिक्कते आइ। कई महिलाओं को इस कार्य को करने के लिए गांव वाले एवं उनके परिवार के पुरूषों के द्वारा मना किया गया एवं मारा भी गया। लेकिन हिम्मत करके आज वर्तमान मे इस समुज में करीब 10 से 15 महिलाओ के द्वारा सैनेटरी पेड बनाने का कार्य किया जा रहा है। महिलाओं को जागरूक करने के लिये हेमलता के द्वारा सभी को पेड बेचे गए। पूर्व में हमे किसी ने भी मदद नही की ना ही हमे किसी ने सहयोग किया। लेकिन वर्तमान में मध्यप्रदेश आजीविका परियोजना के द्वारा हमारे समुह को सहयोग प्रदान किया जा रहा है। अब तो महिलाओं खुद के लिये एवं परिवार के बालिकाओ के लिये भी सैनेटरी पेड ले जाया करती है। गांव में सभी महिलाओ के द्वारा इस सैनेटरी पेड का उपयोग हो रहा है ओर साथ ही आसपास के अन्य गांवो से भी महिलाओ के द्वारा इसका उपयोग किया जा रहा है। हेमलता द्वारा बताया गया कि इस पुरी प्रक्रिया की मशीन को मुम्बई से मंगवाया गया है जिसकी कुल कीमत 3 लाख 60 हजार रुपए है। महिलाओ के द्वारा महीने में इस सैनेटरी पेड की बिक्री से प्रत्येक को 900 से दो हजार रुपए महीने की आमदनी भी हो जाती है। मध्यप्रदेश आजीविका परियोजना के डीपिएम विशाल राय द्वारा बताया गया कि पूर्व में यहां एक समूह चलायमान था। जिसमें ग्राम समुह की एक बैठक में इसे ओर बढाने की बात कही गयी जिस पर से गावं के कुछ पुरूषो के द्वारा इसका विरोध भी किया गया। लेकिन वर्तमान में 17 समूहों के द्वारा इस सैनेटरी पेड को बनाने का कार्य किया जा रहा है। जिसमे लगभग 200 से अधिक महिलाओ के द्वार इस कार्य को सफल बनाया जा रहा है। पूर्व में इस कार्य में कई बाधाये आयी लेकिन महिलाओं के आत्मविश्वास होने के बाद भी अपने कार्य में पीछे नहीं हटी ओर महिलाओं की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य को बचाने के लिये इस तरह के सैनेटरी पेड को बनाने के लक्ष्य को प्राप्त किया। अब इन महिलाओं को पूरे झाबुआ जिले में में पैड वूमन के नाम से जानने लगे है।

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