पंजाब नेशनल बैंक में जब आम लोग लोन लेने जाते हैं तो उन्हें लोन लेने की कठिन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। पंजाब नैशनल बैंक के प्रबंधन ने कभी सोचा नहीं होगा कि नीरव मोदी प्रकरण की वजह से उसकी इस तरह और इतनी बदनामी होगी।
लाखों रुपये के हुये इस लोन घोटाले के बीच एक ओर जहां पीएनबी अपनी साख बचाने में लगा हुआ है वहीं दूसरी ओर पीएनबी के कुछ ऐसे ग्राहक भी रहे हैं जिनकी ईमानदारी की दुहाई दी जा सकती है उनमें से एक थे पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री। वैसे तो इस बैंक के ग्राहकों में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी भी रहे हैं।
जय जवान-जय किसान का नारा देने वाले लालबहादुर शास्त्री भले ही देश के प्रधानमंत्री थे लेकिन उनके पास पीएम बनने तक न तो अपना घर था और न ही एक अदद कार ही थी। लालबहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री बताते हैं कि एकबार जब हम भाइयों ने उन्हें कहा कि अब तो हमारे पास एक कार होनी चाहिए तब उनके बैंक खाते में महज 7000 रुपये थे जबकि इस जमाने में एक फिएट कार 12000 रुपये में आती थी।
क्रीम रंग की 1964 में खरीदी गई फिएट का नंबर DLE 6 है
लालबहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री ने मीडिया से बातचीत में बताया कि जब हमें पता चला कि शास्त्री जी के पास कार खरीदने के लिए पूरे पैसे नहीं हैं तो हमने कहा कि कार मत खरीदिए। लेकिन शास्त्री जी ने कहा कि वो बाकी के पैसे बैंक से लोन लेकर पूरे करेंगे। और फिर उन्होंने पंजाब नैशनल बैंक से जहां उनका पहले से ही खाता था वहां कार खरीदने के लिए लोन अप्लाई किया और पांच हजार रुपये का लोन लिया।
अनिल बातचीत में बताया कि लोन चुकाने से पहले ही शास्त्री जी की मृत्यु हो गई फिर हमने बैंक का लोन मां ललिता को मिलने वाले पेंशन से भरा। जबकि लालबहादुर शास्त्री के बाद प्रधानमंत्री बनीं इंदिरा गांधी ने सरकार की तरफ से लोन माफ करने की पेशकश की थी। लेकिन उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने इसे स्वीकार नहीं किया और उनकी मौत के चार साल बाद तक अपनी पेंशन से उस लोन को चुकाया।
वह कार आज भी लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल में 1 मोतीलाल नेहरू मार्ग पर खड़ी है। क्रीम रंग की 1964 में खरीदी गई फिएट का नंबर DLE 6 है और दूर- दूर से लोग इसे देखने आते हैं।